भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में पेश

नई दिल्ली | लोकसभा में डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान की मांग करते विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच बहुप्रतीक्षित भूमि अधिग्रहण विधेयक को पेश कर दिया गया। सदन की कार्यवाही शुरू होने पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास विधेयक पेश किया। इस महत्वपूर्ण विधेयक में कहा गया है कि निजी परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले 80 प्रतिशत भूस्वामियों और सार्वजनिक-निजी परियोजनाओं के लिए 70 प्रतिशत भूस्वामियों की सहमति लेना अनिवार्य होगा। कार्यवाही के दौरान विभिन्न दलों के सदस्य लगातार यह मांग करते रहे कि प्रधानमंत्री सदन में उपस्थित हों और रुपये की गिरावट को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दें। साथ ही इस विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित लोगों को विकास में भागीदार बनाया जाए ताकि अधिग्रहण के बाद उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति सुधरे। जयराम रमेश ने कहा कि यह विधेयक ‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्स्थापना एवं पुनर्वास में पारदर्शिता तथा उचित मुआवजे का अधिकार विधेयक, 2012’ भूमि अधिग्रहण मामलों में अब तक होने वाले अन्याय को दूर करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
विदित हो कि यह विधेयक सदी पुराने भूमि अधिग्रहण कानून 1894 की जगह लेगा जिसमें आज के हिसाब से अनेक कमियां हैं। इस विधेयक को दो सर्वदलीय बैठकों के बाद पेश किया जा रहा है जिसमें सरकार ने भाजपा नेता सुषमा स्वराज तथा वामदलों द्वारा सुझाए गए पांच प्रमुख सुझावों को स्वीकार किया है।