उत्तर प्रदेश में बाढ का कहर जारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बाढ़ का संकट लगातार गहराता जा रहा है। पूर्वांचल से लेकर बुंदलेखंड तक हजारों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। गंगा, यमुना, शारदा, सरयू और गंडक नदियों में बढ़ता जलस्तर हजारों लोगों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। हालांकि प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावितों की मदद की जा रही है। पिछले लगभग 20 दिनों से उत्तर प्रदेश के गोंडा, बहराइच, सीतापुर, बिजनौर, इटावा, मैनपुरी, अम्बेडकरनगर और बाराबंकी जिलों के सैक़डों गांव बाढ़ की चपेट में हैं। जहां तटवर्ती इलाकों के लोग कटान से दहशत में हैं वहीं बाढ़ पीडतों तक खाद्य एवं राहत समाग्री ना पहुंचने से लोग भुखमरी के कागार पर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावितों के लिए राहत शिविरों का इंतजाम नहीं किया जा रहा है जिसके कारण लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि कई जिलों में अस्थायी तौर पर राहत शिविर बनाए गए हैं।
पूर्वांचल में इलाहाबाद, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में गंगा, यमुना और घाघरा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हंै और इनमें जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बुंदेलखंड में बांदा, ललितपुर, हमीरपुर और चित्रकूट में कई गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। पहले से ही सूखे की मार झेल रहे लोगों पर बाढ़ के कहर से रोजी-रोटी का संकट और बढ़ गया है।
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सूबे में गंगा, यमुना, शारदा और घाघरा कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और उनके जलस्तर में वृद्घि अभी भी जारी है। अगले 24 घंटों के दौरान कुछ जगहों पर नदियों के जलस्तर में कमी आने की सम्भावना है। मौसम विभाग के अनुसार अगले दो-तीन दिनों में पूर्वाचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश होने की संभावना है।