Home > Archived > जनमानस

जनमानस

अब तो शर्म करो या फिर...

इतिहास साक्षी है कि कांग्रेस के नेता वोट बैंक के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण की उस हद तक गिर जाते हें कि राष्ट्र का जितना बुरा होना है हो जाए, इसकी परवाह वे नहीं करते। बटला हाउस एनकाउन्टर मामले को लेकर दिग्गी जैसे नेताओं ने नौटंकीनामा आंसू बहाए और हंगामा मचाया कि ये एनकाउन्टर फर्जी है और आतंकियों के घर जाकर सहानुभूति बटोरी। परन्तु वोट एवं कुर्सी के लिए गिरे हुए, स्तरहीन राजनेताओं ने उस शहीद के घर जाकर तनिक भी संवेदनाएं व्यक्त नहीं की होंगी जो उस बटला हाउस में मुठभेड़ में बहादुरी के साथ आतंकियों से लड़ते -लड़ते शहीद हो गया था। अत: क्या ऐसे लोगों के कुकृत्यों से आतंकियों के हौसले नहीं बढ़ते? ये तो पूरा देश जानता है।

उदयभान रजक, ग्वालियर

स्लामी आतंकवादियों की सफलता का देश

दुनिया में इस्लामी आतंकवादियों के लिए सबसे खतरनाक देश अमेरिका है तो सबसे आसान और सरल देश भारत। आतंकी गतिविधियों और आतंकवादियों के खिलाफ काम करने की जगह कांग्रेसी सरकारों ने हमारे राष्ट्र की दुर्गति में धकेल दिया है। हमारा राष्ट्र मुस्लिमों और अंग्रेजों के समय में गुलाम था। परन्तु आज तो आजादी में गुलामी को झेल रहा है। सेना जांच एजेंसियों के मनमाने राजनीतिक निर्णयों ने आज ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि नक्सलवादी और आतंकवादी निर्बाध गति से खुलकर चेतावनियों में अपने कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं। कांग्रेस यानी राष्ट्र के दोहन की खतरनाक पार्टी जो पहले देश को आजाद कराने वाली पार्टी कही जाती थी समझी जाती थी। अब उसकी कार्यप्रणाली और सत्ता के स्वाद में जनता के खून-पसीने में दांत गढ़ चुके हैं। अब उसे आतंकवादियों में आतंक नजर नहीं आता नक्सलवादियों में हिंसा नजर नहीं आती सुरक्षा और सत्ता की निजता का ऐसा संकीर्ण सोच राष्ट्र को तबाह कर डालेगा।

हरिओम जोशी, भिण्ड


Updated : 2 Aug 2013 12:00 AM GMT
Next Story
Top