जनमानस

''क्षुद्र मानसिकता

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को वीजा न देने के लिए हमारे सांसदों के एक समूह ने जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से गुहार लगाई है, यह हमारे केन्द्रीय राजनीति का क्षुद्रतम स्वरूप है। निश्चिय ही ये सांसद नरेन्द्र मोदी के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव के दबदबे से इतने घबराए हुए हैं कि आनन-फानन में ठीक उसी तरह ओबामा साहब का दरवाजा खटखटाया है, जिस तरह इतिहास के पन्नों में पृथ्वीराज चौहान से घबराकर जयचन्द ने एक विदेशी षड्यंत्रकारी मोहम्मद गौरी का दामन थामा था। यह कैसी विडम्बना है कि मोदी के खिलाफ ओबामा को जितनी चिट्ठियां भेजी गई है उनमें अधिकांश सांसद ऐसे हैं, जो पिछले दिनों कई मुद्दों पर अमेरिका को कोसते बाज नहीं आते थे। आज ओबामा उनके आका कैसे हो गए समझ से परे है। वर्तमान में ओबामा को भेजे गए पत्रों में फर्जीवाड़ा के बवाल ने तो यह साबित कर ही दिया है कि ऐसे सांसद राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए चाहे जितना भी नीचे गिरा जा सकता है गिर सकते हैं। इन सांसदों को इतना तो सोचना ही चाहिए हालांकि गुजरात दंगों को ले कर मोदी पर कई आरोप है लेकिन यह भी सत्य है कि अभी तक उन पर एक भी आरोप सिद्ध नहीं हुए है। पता नहीं क्यों इन राष्ट्रीय कर्णधारों को मोदी का नाम आते ही गुजरात दंगों की बात तो याद आ जाती है, लेकिन कश्मीरी पंडितों का विस्थापित होना। असम दंगों में कितने ही लोगों को अपने ही घर में शरणार्थियों का जीवन बिताना क्यों याद नहीं आता। आम लोग जिनके मन में अगर थोड़ी सी राष्ट्रीयता है उन्हें आगे आ कर ऐसी मुहिम चलाने की आवश्यकता है जिसके माध्यम से इन भ्रष्ट सांसदों को संसद से बाहर का रास्ता दिखाया जा सके क्योंकि ये सांसद हमारे सांसद हो ही नहीं सकते जो देश की समस्या को देश में सुलझाने के बजाय विदेशियों के तलबे चाटने पर विश्वास रखते हैं।

प्रवीण प्रजापति, ग्वालियर

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