रमन सिंह और चार मंत्रियों पर घूस लेने का आरोप
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रायपुर। 2007 के इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक घोटाले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। कांग्रेस ने बैंक घोटाले के आरोपी बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की कथित सीडी जारी की। इस सीडी में बैंक मैनेजर सीएम रमन सिंह के साथ चार मंत्रियों और एक पूर्व डीजीपी को घूस दिए जाने की बात कह रहा है।
छत्तीसगढ़ में 2007 में इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला हुआ था, जिसमें 25 हजार खातेदारों के 47 करोड़ रुपये डूब गए थे। कांग्रेस ने कथित सीडी में रमन सिंह का नाम लिए जाने पर उनके इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस नेता बी. के . हरिप्रसाद ने कहा कि रमन सिंह को सीडी के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए और पूरे मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश करनी चाहिए। वहीं, बीजेपी ने इस सीडी को फर्जी करार देते हुए साजिश की आशंका जाहिर की है। सीडी जारी करते हुए पूर्व मंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया कि नंद कुमार पटेल इस सीडी को लेकर खुलासा करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उनकी हत्या हो गई। उन्होंने कहा कि नक्सली हमले में मारे गए नंदकुमार पटेल के बेटे दिनेश पटेल ने एक एसएमएस के जरिए कहा था कि वे सरकार के खिलाफ ऐसा एक भंडाफोड़ करने वाले हैं जिससे सरकार गिर जाएगी। वह इसी सीडी की बात कर रहे थे।
बघेल ने सीडी के हवाले से दावा किया कि मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनकी सरकार के मंत्रियों बृजमोहन अग्रवाल, राम विचार नेताम, अमर अग्रवाल और राजेश मूणत को बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा ने एक-एक करोड़ रुपये दिए थे। इसके अलावा सीडी में तत्कालीन डीजीपी ओ. पी. राठौड़ को भी एक करोड़ रुपये दिए जाने की बात कही गई है। बघेल ने रमन सिंह से पूरे मामले पर अपना पक्ष स्पष्ट करने की मांग करते हुए पूछा कि क्यों छत्तीसगढ़ सरकार ने इतने बड़े घोटाले की जांच सीबीआई से नहीं कराने की मांग की?
उधर छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार इस सीडी को फर्जी बता रही है। राज्य सरकार के प्रवक्ता और राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीडी पर सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि गलत बातों को सीडी के जरिए सही बताना कांग्रेस की पुरानी आदत है।
गौरतलब है कि रायपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक 2 जुलाई 2006 को बंद कर दिया गया था और इस दौरान बैंक में 54 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। इसके बाद आरबीआई ने इस बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया था। बैंक में धांधली की बात सबसे पहले 3 अक्टूबर 2007 को ऑडिट में सामने आई थी। ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि 2003-2006 के बीच बैंक में जमा कराई गई 54 करोड़ 38 लाख से ज्यादा की राशि का गबन कर लिया गया। गबन के कारण बैंक की पेमेंट कपैसिटी खत्म हो गई और आरबीआई ने इसका लाइसेंस रद्द कर दिया।