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जनमानस

अनियंत्रित होता साम्यवादी नस्लवाद


हमारे देश में इस्लामिक आतंकवाद गर्भनाल से जो 'लाल आतंकवाद देशी साम्यवादियों की गोद में फलफूल रहा है वह लाल आतंकवाद अब अनियंत्रित ही नहीं बल्कि खूंखार भी हो गया है। पिछले माह ही नक्सलवादियों ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को छत्तीसगढ़ में मारा था। उसके कुछ ही दिन बाद झारखंड में एक ट्रेन पर हमला कर सुरक्षाकर्मियों को मार कर उनके हथियार छीन ले गए और अब इन्हीं लाल आतंकियों ने पिछले दिनों झारखंड राज्य के एक युवा एस.पी. तथा उनके सुरक्षा कर्मियों को मार दिया। ऐसा लगता है कि नक्सलवादियों ने देश में रक्तक्रांति का श्रीगणेश कर दिया है और सरकार अब भी अपनी सत्ता को बचाने की चिंता में शहीदों की चिताओं पर 'राजनीति की रोटियां ही सेंक रही है। देश और दुनिया में लगभग राजनैतिक रूप से नकार दिए गए साम्यवादियों ने नक्सलवाद के कंधे पर सवार होकर सत्ता तक पहुंचने का रास्ता बनाना प्रारम्भ कर दिया है। इस लाल आतंकवादियों ने छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, आंध्रप्रदेश पश्चिमी बंगाल तथा दक्षिणी राज्यों में लाल आतंकवाद ने अपने पांव मजबूत कर लिए है और देश के शांतिप्रिय राज्यों जैसे म.प्र. राजस्थान आदि में भी अपनी उपस्थिति का अहसास सरकारों को करा रहे है। देश में निरंतर बढ़ता नक्सलवाद देश में अस्थिरता फैलाने के लिए सीमापार चीन द्वारा रची गई तथा सीमा के अंदर साम्यवादियों द्वारा पोषित एक राजनैतिक षड्यंत्र का हिस्सा है जिसे भारत में नस्लवादी फलीभूत कर रहे है और देश में अस्थिरता फैला रहे है। देश और इन प्रभावित राज्य सरकारों को अब इस चीनी और साम्यवादियों के व्यापक षड्यंत्र को नेस्तनाबूद करने के लिए सैन्य कार्यवाही करना चाहिए और देश को खण्ड-खण्ड होने से बचाना चाहिए।

लीला विजयवर्गीय, ग्वालियर







Updated : 15 July 2013 12:00 AM GMT
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