उत्तराखंड : मृतकों और लापता लोगों का आंकड़ा अब तक स्पष्ट नहीं

देहरादून | उत्तराखंड में बाढ़, बारिश और भूस्खलन से आयी तबाही को करीब 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब भी यहां फंसे हजारों लोगों को निकाले जाने का काम बाकि है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अब तक लापता लोगों का ना तो कोई आंकड़ा मिल पा रहा और ना कोई खबर। राहत व बचाव कार्य का काम जारी है। वहीं शवों के अंतिम संस्कार में बारिश के चलते थोड़ी मुश्किलें आ रही हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वहां के अलग-अलग इलाकों में अब भी करीब 900 लोग फंसे हुए हैं। यहां के बद्रीनाथ इलाके में करीब पांच सौ लोग फंसे हैं, जिन्हें आज निकाला जाएगा। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि बद्रीनाथ से रविवार करीब 1500 लोगों को निकाला गया, वहीं राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों के साथ अब तक के राहत और बचाव के काम पर एक बैठक की, जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि करीब 3000 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि इस आपदा में कितने लोगों की मौत हुई है, इसका अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि कई लोग मलबे में दबे हो सकते हैं।
वहीं केन्द्रीय गृहसचिव अनिल गोस्वामी ने कहा है कि अब हमारे सामने बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह यहां की जिंदगी को दोबारा रास्ते पर लाया जाए। उत्तराखंड के एक हजार तीन सौ पैंतीस गांव अभी भी पूरी तरह से कटे हुए हैं। इन गांवों में हेलीकॉप्टर के जरिये राशन पहुंचाया जा रहा है। वहीं उत्तराखंड के 496 गावों में बिजली नहीं है।
उत्तराखंड में 14 जून से तीन दिनों तक भारी बारिश और बादल फटने से बाढ़ आ गई और भूस्खलन हुए जिसमें ना तो लापता लोगों का कोई स्पष्ट आंकड़ा मिल पा रहा और ना ही मृतकों का।
वहीं इसी बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गैरकानूनी निर्माण रोकने और उत्तराखंड जैसी आपदा से बचने के लिए केंद्र सरकार से एक राष्ट्रीय पर्यावरण नीति घोषित करने की मांग की है। उन्होंने उत्तराखंड की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की है।

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