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जनमानस

पुण्य कार्य भूले लोग

पुराने जमाने में प्यासे को पानी पिलाना पुण्य माना जाता था। आज बड़ा दुख होता है यह देख कर कि शहर में पानी के पाउच और बोतलें बिक्री की जा रही हैं। आखिर लोग क्यों मजबूरी में पानी खरीदकर पीते हंै इससे एक ओर जहां बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना उल्लू सीधा कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर देशवासी ठगे जा रहे हैं। पुराने जमाने से यदि नई पीढ़ी प्रेरणा लेती तो पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर न होना पड़ता। भीषण गर्मी में प्यासों की प्यास बुझाने का भाव स्वत: ही हमारे समाज के भीतर जाग्रत हो जाता इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि आज प्यासे को कोई पानी पिलाता दिखाई नहीं देता, घरों के बाहर मटके भर के रखने का चलन भी समाप्त हो गया है।

संदीप पुराणिक, ग्वालियर

बिक रहा मिलावटी पेट्रोल

एक ओर केन्द्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के लगातार दाम बढ़ाकर उपभोक्ताओं की कमर तोड़ दी तो दूसरी ओर छोटे-छोटे दुकानदार उपभोक्ताओं को बिना रोक-टोक मिलावटी पेट्रोल बेचकर उनके वाहनों को कंडम करने में लगे हुए है। मिल क्षेत्र में 50 से भी अधिक ऐसे दुकानदार हैं, जो अपनी दुकानों के सामने खुलेआम पेट्रोल की बोतलें टांगकर बेचने का गोरखधंधा कर रहे हैं। यह दुकानदार खुलेआम एक लीटर पेट्रोल के 80-90 रु. वसूल रहे हैं, चाय-पान की गुमटी से लेकर किराना दुकान तक पर पेट्रोल बेचा जा रहा है।

डॉ. दाउद पटेल हाशमी, इन्दौर 

Updated : 7 Jun 2013 12:00 AM GMT
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