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जनमानस

सवाल है देश का?

भारत में इन दोनों प्रकार के आतंकवाद से आंतरिक और बाहरी संकट पैदा हो गए हैं। छत्तीसगढ़ में हुए घातक हमले पर केंद्र सरकार का ध्यान इसलिए केंद्रित हुआ कि हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तीन बड़े नेता मारे गए। राजनैतिक क्षेत्र में उस समय हलचल नहीं मची थी, जब सीआरपीएफ जवानों की नक्सली हमले में हत्या हुई थी। विडंबना यह है कि राजनैतिक प्रदूषण से ग्रसित नेतृत्व का चिंतन और कार्रवाई राजनैतिक स्तर पर होनी है। लोगों की सोच भी इसी प्रकार की बन गई है। देश के लिए राजनीति ही सब कुछ है या इसके अलावा भी ऐसे सांस्कृतिक, धार्मिक तत्व हैं, जिनके आधार पर इस देश में देशभक्ति और राष्ट्र निर्माण की चेतना जाग्रत कर सकते हैं। यह विषय अलग चिंतन का है।
हाल ही में आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से देश के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित की। इसमें प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का आग्रह था कि नेशनल काउंटर टेरेरिज्म सेंटर (एनसीटीसी) बनाया जाए। छत्तीसगढ़, म.प्र. और गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने इस नई कानून व्यवस्था से राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप की शंका व्यक्त की। ऐसे कानून है जिनका क्रियान्वयन ठीक प्रकार से नहीं हो रहा है। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एनडीए सरकार ने पोटा कानून बनाया था, लेकिन यूपीए सरकार के आते ही उसे निरस्त कर दिया। इस विरोध के कारण एनसीटीसी के गठन का मामला अधर में चला गया।

रामलखन यादव, इन्दौर

Updated : 13 Jun 2013 12:00 AM GMT
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