पानी के लिए भटकने लगे लोग

शिवपुरी | गर्मी धीरे-धीरे अपने सुरूर पर आने लगी है और जलस्तर घटना शुरू हो गया है। शहर के अधिकतम बोर सूख चुके हैं। इसके बावजूद भी नगरपालिका पेयजल समस्या को लेकर बिल्कुल चिंतित नहीं दिखाई दे रही है। जनता में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मचना शुरू हो गई है। लोग भरने के लिए बर्तन लेकर इधर-उधर घूमते नजर आ रहे हैं। अभी से ही शहर की आधी आबादी जलसंकट से त्रस्त नजर आ रही है। वहीं वार्डों के पार्षदों का इस ओर ध्यान भी केन्द्रित नहीं हैं। लोग रात-रातभर पानी की व्यवस्था में घूमते रहते हैं। लेकिन नगरपालिका ने अभी तक पेयजल समस्या से निपटने के लिए कोई भी रूपरेखा तैयार नहीं की है। वहीं दूसरी ओर गर्मी भी बढ़ती जा रही है ऐसे में आने वचाले दिनों में शिवपुरी की जनता पानी के संकट से कैसे निजात मिलेगी यह समझ से परे है।
नेताओं के वादों की खुली पोल
शहर की जनता कुछ समय पहले इस बात को लेकर आश्वस्त थी कि मार्च अप्रैल तक सिंध का पानी शहर में आ जाएगा। इसके लिए जनप्रतिनिधियों ने भी जनता को भरोसा दिलाया और उसी भरोसे की आस पर जनता आश्वस्त रही। लेकिन अब इन जनप्रतिनिधियों के दावे झूठे साबित होते दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि महती सिंध परियोजना अभी अधूरी पड़ी हुई है और आने वाले एक वर्ष तक यह काम किसी भी हालत में पूर्ण होता दिखाई नहीं दे रहा है।
जबकि ग्वालियर सांसद यशोधरा राजे सिंधिया सहित नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने सिंध परियोजना का काम शीघ्रपूर्ण करने के निर्देश नपा के अधिकारियों को दिए थे, लेकिन इस योजना को आज तक पूर्ण नहीं किया गया। साथ ही शिवपुरी विधायक माखनलाल राठौर और नपाध्यक्ष रिशिका अनुराग अष्ठाना ने भी शहर की जनता से वादा किया था कि सिंध का पानी मार्च और अप्रैल तक किसी भी हालत में शहर में आ जाएगा। लेकिन आज तक सिंध परियोजना का काम अधूरा ही पड़ा हुआ है तो फिर शहर में पानी आना तो बहुत दूर की बात है।
समीक्षा बैठक के बाद भी नहीं दिखी आशा की किरण
सिंध परियोजना जल्द से जल्द क्रियान्वित करने के लिए पिछले दिनों सांसद यशोधरा राजे सिंधिया ने कलेक्टर आरके जैन सहित नपा, पीएचई विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों सहित दोशियान कंपनी के अधिकारियों से चर्चा की थी। भोपाल में भी समीक्षा बैठक आयोजित की गई,लेकिन इस समीक्षा बैठक में स्पष्ट हुआ कि सिंध परियोजना का क्रियान्वयन अभी दूर की कोड़ी है। मड़ीखेड़ा से शिवपुरी तक लगभग 15 किमी क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान में है और यहां अभी तक लाईन डालने का कार्य शुरू नहीं हो सका है, क्योंकि इसके लिए लगभग सवा करोड़ की राशि जमा करानी होगी। शहर में डिस्ट्रीब्यूशन लाइनें भी नहीं डली हैं। इंटेकबैल का काम भी अधूरा पड़ा है।