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ज्योतिर्गमय

प्रार्थना

प्रार्थना एक बहुत बड़ा सम्बल है मनुष्य जीवन में। प्रार्थना मन को शक्ति देती है। मनुष्य की समस्या कितनी है वैसा देखा जाए तो एक सांस भी वह अपनी इच्छा से घटा बढ़ा नहीं सकता पर फिर भी कितना इतराता है। इंसान को हर पल हर क्षण प्रार्थनारत रहना चाहिए। उसे याद करने के लिए शब्दों की भी जरूरत नहीं है बस सिर्फ भाव और भावना चाहिए। कई लोग हर समय उसे याद करते हैं हर काम शुरू करने के पहले। गाड़ी में स्टियरिंग पर बैठे कि प्रार्थना शुरू।
खाना खाते समय, काम पर जाते समय, सोते और उठते वक्त फिर दिन भर बीच-बीच में उसे याद करते हैं। यह एक आदत हो जाती है और आदतें स्वभाव बनाती हैं। आप अपने लिए प्रार्थना करते हैं और दूसरों के लिए भी करते हैं। सच्चे दिल से की गई प्रार्थना हमेशा कबूल होती है। एक छोटे बच्चे की प्रार्थना पर गौर करिए आप को उसकी सरलता पर सच्चाई पर आनन्द आएगा। वह प्रार्थना करता है। हे प्रभु मेरे छोटे भाई को ठीक रखना, मेरे भी भाई-बहनों को ठीक रखना, माता-पिता को भी ठीक रखना, चाचा-चाची, मामा-मामी, नाना-नानी, दादा-दादी को भी ठीक रखना। हमारे यहां काम करने वालों को भी ठीक रखना जैसे बाई है, ड्राईवर है और सबसे पहले आप अपने को ठीक रखना क्योंकि यदि आप को कुछ हो गया तो हम कहीं के नहीं रहेंगे। आपके अलावा हमारा है कौन इसलिए आप को तो सबसे पहले ठीक रहना है। कितने सरल शब्दों में की गई प्रार्थना है। भगवान ऐसी प्रार्थना अवश्य सुनता है। एक चर्च में एक पादरी थे वे लोगों के लिए प्रार्थना किया करते थे। लोग अपने कष्ट, अपनी बीमारियां लेकर जाते और उनसे अपने लिए प्रार्थना करने के लिए कहते थे और कहते हैं कि वे सच्चे दिल से घुटने टेककर लोगों के लिए प्रार्थना करते थे और उनकी प्रार्थना स्वीकार होती थी। लोग ठीक हो जाते थे उनके कष्ट दूर हो जाते थे। एक सराय में एक साथ ठहरे थे वहां के देखरेख वाले का यह नियम था कि वह लोगों से नियमित प्रार्थना करवाया करता था पर वह आदमी प्रार्थना नहीं करता था तो उसके केयर टेकर ने उसे निकाल दिया और बोला कि तुम प्रार्थना नहीं करते इसलिए मैं तुम्हें यहां से निकाल रहा हूं। इतने में भगवान या खुदा अवतरित हुए उन्होंने उस केयर टेकर से पूछा कि तुमने उसे सराय से क्यों निकाला उसने कहा कि वह आपकी इबादत नहीं करता तो खुदा ने कहा कि वह मेरी इबादत नहीं करता पर मैंने तो उसे कोई सजा नहीं दी, उसे अपनी दुनिया से नहीं निकाला। तुम कौन होते हो उसे सजा देने वाले तो उसे समझ में आया उस आदमी को वापस बुला लिया। ऐसी होती है प्रार्थना। आप भगवान को याद करें या न करें उसे सबकी याद रहती है वह सबकी चिंता करता है। उसकी माया अपरंपार है।
उसके हाथ बहुत लम्बे हैं। सभी प्राणी उसकी पहुंच के अंदर है। वही जन्म देता है वह पालता है वही समय आने पर ले जाता है। हमारे हाथ में कुछ नहीं है। इसलिए उसे हमेशा याद रखें। हमेशा प्रार्थना करते रहें उसे बच्चे की तरह कि प्रभु हमारा और हमारों का ख्याल रखना। बस यही मेरा संदेश है।

Updated : 20 April 2013 12:00 AM GMT
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