बाबरी विध्वंस: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करने में देरी क्यों की | शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में केंद्र के वरिष्ठ विधि अधिकारी से एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल कर लालकृष्ण आडवाणी और अन्य के खिलाफ अपील दायर करने में विलंब का करण बताने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल के दफ्तर में फाइल कई महीनो तक पडी रही लेकिन उनकी तरफ से अपील दाखिल नहीं की गई।
हालांकि सीबीआई ने सॉलिसिटर जनरल को बार-बार याद दिलाया कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी है, लेकिन सॉलिसिटर जनरल की तरफ से अपील दाखिल नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपील दाखिल करने में 167 दिनों की देरी हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को देरी की वजह एक हफ्ते के अन्दर हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है। इस मामले में आडवाणी, जोशी समेत संघ के आठ नेताओं के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा था। जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, लेकिन कुछ अन्य धाराओं में इनके खिलाफ मामला चल रहा है।
गौरतलब है कि सीबीआई ने अयोध्या के विवादित राम मंदिर, बाबरी मस्जिद ढांचे को 6 दिसंबर, 1992 को ढहाए जाने की साजिश के आरोपों से नेताओं को मुक्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने इन नेताओं को आपराधिक साजिश रचने के आरोपों से मुक्त कर दिया था, जिस पर हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी थी।