जनमानस
आतंकवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार नाकाम
आतंकवाद के बढ़ते हौसलों से देश की सुरक्षा को खतरा बढ़ता जा रहा है। अफजल गुरु को फांसी के बाद दो आतंकी हमले देश में हो चुके हैं। और हमारी केन्द्रीय सत्ता केवल कड़ी निंदा कर अपनी भावनाओं की इतिश्री कर लेती है। भ्रष्टाचार और आतंकवाद को नियमित करने में सर्वथा नाकाम साबित हो रही केन्द्र सरकार को देश की सुरक्षा और सम्प्रभुता के सन्दर्भ में अमेरिका और चीन से सीख लेना चाहिए।
वल्र्ड टे्रड सेन्टर पर हमले के बाद चैन से नहीं बैठा जब तक कि उसने घटना के लिए जिम्मेदार आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन को उसके घर में उसी के बिस्तर पर मारकर लाश को समन्दर में फेंकवा न दिया। उसके बाद अमेरिका में कोई आतंकी घटना नहीं हुई। वहीं चीन में एक पूर्व विधायक को सिर्फ मात्र एक लाख रुपए के भ्रष्टाचार के लिए दोषी पाए जाने पर सजा-ए-मौत दे दी गई, क्या? भारत ऐसा करने की दृढ़इच्छा शक्ति रख सकता है। यहां तो सैकड़ों आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री केवल गीदड़ भभकी देकर घटना की मात्र निंदा कर अपनी भावनाओं की इतिश्री मान लेते हैं। भ्रष्टाचार की तो बात ही नहीं करें कई सौ करोड़ के घोटाले बाज जेलों में मौज कर रहे हैं। आतंकवादी तो हमारे यहां मेहमान होते हैं। भगवान ही मालिक है। इस भारत देश का, परमात्मा देश के रहनुमाओं को सद्बुद्धि प्रदान करे।
कुवर वी.एस. विद्रोही, ग्वालियर
मानवीयता का परिचय दें
बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही गर्मी ने दस्तक दे दी है और इस वर्ष प्रचण्ड गर्मी का अनुमान लगाया जा रहा है। अन्धाधुन्ध प्रगति के नाम पर हमने कंकरीट जंगल तो बना लिए हैं लेकिन पशु-पक्षियों का घर उनसे छीनकर उन्हें बेघर और लाचार कर दिया है। हमें एक मानवीय पहल करते हुए अपने घरों के बाहर, छतों और आंगन में इन निरीह पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी व भोजन को रखना चाहिए। ताकि ये बेसहारा प्राणी जी सकें, साथ ही हमें हरियाली की रक्षा करते हुए नए पेड़-पौैधे लगाने के साथ-साथ उनकी देखभाल का संकल्प लेना चाहिए। यह दायित्व सबको उठाना चाहिए।
रवि गुप्ता, लखनऊ