जनमानस
महिला स्वतंत्रता का ढोंग
महिला दिसव पर महिलाओं की स्वतंत्रता के संदर्भ में सभ्य समाज की तमाम टिप्पणियां मीडिया की सुर्खियों में पढ़ी और साथ ही ऐसा एक दिन भी नहीं गुजरता जिस दिन महिला यौन उत्पीडऩ की खबर न पढ़ी हो, क्या? यही हमारे सभ्य समाज का असली चेहरा है।
हम महिलाओं को एक और जगत जननी मां देवी मानकर पूजने का ढ़ोग करते है। और दूसरी ओर पैहरन की तरह अथवा दासी की तरह व्यवहार करते है। तमाम कानूनों के बाद नारी की दशा और दिशा बद्तर क्यों बनी है? यह विचारणीय प्रश्न है। दहेज के लिए आज भी बेटियों को आज भी जला कर मार दिया जाता है। म.प्र. में बेटियां बचाओ अभियान को धता बताते हुए आए दिन बेटियों पर आत्याचार बदस्तूर जारी है। कहीं न कहीं हमारी नीयत में खोट अवश्य है। और यह आत्याचार अनपढ़ कम पढ़े लिखे भद्र समाज के लोग अधिक करते है। हमें महिलाओं को स्वतंत्रता की बात घर से ही आरम्भ करनी होगी।
कुवर वी.एस. विद्रोही, ग्वालियर