आर्थिक सर्वेक्षण: डीजल, पेट्रोल महंगा करने की तैयारी

नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने सब्सिडी पर होने वाले खर्च पर अंकुश लगाने की बात कही गई है। लोकसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2012-13 में में कहा वित्त मंत्री ने कहा कि सब्सिडी पर खर्च नियंत्रण अनिवार्य है इसके साथ ही पेट्रोलियम उत्पादों विशेषकर डीजल और रसोई गैस की घरेलू कीमतों में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के मुताबिक वृद्धि करने की भी जरूरत है। वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत सर्वेक्षण में कहा गया है कि इसकी शुरूआत तेल विपणन कंपनियों को नियमित अंतराल पर कम दाम बढ़ाने की इजाजत देकर की जा चुकी है। इसके अंतर्गत सितम्बर, 2012 और उसके बाद जनवरी, 2013 में डीजल के दामों में वृद्धि की गई। सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरों की संख्या भी 9 तक सीमित कर दी गई है। आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि सब्सिडी का लाभ सही लोगों तक पहुंचाया जाए और उसे गलत हाथों में पड़ने से रोका जाए। ऐसी ही एक पहल प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना है।
पी. चिदम्बरम ने कहा कि कच्चे तेल के दामों में वृद्धि के उच्च स्तर का उर्वरकों की सब्सिडी के स्तर पर महत्वपूर्ण असर पड़ा है। सरकार उर्वरकों पर सब्सिडी के बढ़ते बोझ के मसले को सुलझाने के लिए मूल्य नीतियों में तालमेल बैठा रही है। इन्हीं में से एक अहम फैसला गैर-नाइट्रोजन वाले उर्वरकों की प्रति टन मात्रा पर सब्सिडी तय करना है।
इसके साथ ही सर्वेक्षण में गरीबों द्वारा आवश्यक भोजन की खपत और देश में कुपोषण की स्थिति के मद्देनजर खाद्य सब्सिडी को अहमियत देने की जरूरत पर बल दिया गया है। सरकार ने इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से सुधारने की कोशिश की है। हालांकि इसे लेकर चिंता व्यक्त की गई है कि इससे सब्सिडी पर खर्च बढ़ जाएगा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि जहां अन्य वस्तुओं पर खर्च में कमी की गई है, वहीं इस बुनियादी जरूरत को प्राथमिकता देना चुनौतीपूर्ण है।
