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जनमानस

हड़ताल, हड़ताल, हड़ताल

प्रदेश में महंगाई या अन्य किसी भी समस्या पर हड़ताल की जाती है। जिसके कारण बाजार बंद एवं आवागमन के साधन बंद किए जाते है और हड़ताल की जाती है। जिसके कारण आम जनता को परेशानी होती है बाहर से आने वाले यात्रियों को परेशानी होती है। विद्यालय में जाने वाले छात्र-छात्राओं को परेशानी होती है। व्यवसईयों का रोजगार नहीं होता दिनभर बाजारों की रौनक समाप्त होती है लोग परेशान होते हैं महिलाएं अपने काम पर नहीं पहुंच पाती नुकसान हमारा ही होता है। और हड़ताल करने पर भी शासन के कानों पर गुंज भी नहीं पड़ती सब मिलाकर जनता को नुकसान होता है। और हड़ताल करने पर भी हड़ताल करने का उद्देश्य पूरा नहीं होता। सरकार का नुकसान तो जनता से वसूल किया जाता है।

अशोक शिरढोणकर, ग्वालियर

सरकारी घोषणा के बाद भी किसान दुखी

सरकार ने घोषणाएँ की हैं कि वे किसानों से फ्लेट रेट पर 12 सौ रु. प्रति हार्स पावर के मान से बिजली का बिल लेंगे तथा किसानों को साल में सिर्फ दो बार बिजली के बिल भरना होंगे, जबकि आज किसान सर्वाधिक परेशान बिजली की समस्या को लेकर एवं मंडल द्वारा थमाये जाने वाले बिलों को लेकर ही है। सरकार द्वारा 24 घंटे बिजली मिलने की बात कही जाती है, किन्तु वास्तविकता में ग्रामीण अंचल में किसानों को महज 4 घंटे भी बिजली बमुश्किल मिल पा रही है। किसानों से 3 हार्स पावर के उपयोग पर 5 हार्स पावर के बिल व 5 की जगह 8 और 8 हार्स पावर की जगह 10 हार्स पावर के बिल थमाये जा रहे हैं और इन बिलों की वसूली के लिए किसानों के साथ न सिर्फ धौंसदपट की जा रही है, उन्हें पुलिस के हवाले भी किया जा रहा है। किसान के साथ हर प्रकार की ज्यादतियां हो रही है।
डॉ. दाउद पटेल हाशमी, इन्दौर 

Updated : 23 Feb 2013 12:00 AM GMT
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