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जनमानस

महंगाई के प्रति सरकार सजग हो

आज के युग में जहां एक ओर लालच, दिखावा और आवश्यकताएं बढ़ी हैं तो वहीं दूसरी और महंगाई भी अपने पूरे चरम पर पहुंच रही है। कुछ दशक पहले की बात करें तो लोग बड़े परिवार होने के बावजूद कम खर्च में गुजारा कर लेते थे, जबकि मौजूदा समय में एकाकी व छोटे आकार के परिवार होने के बावजूद खर्चा पूरा नहीं होता। मैंने तो ऐसे भी कुछ लोगों को देखा है जो फुल टाइम नौकरी के साथ पार्ट टाइम काम भी करते हैं। फिर भी उन्हें बचत के लिए खर्चो में भारी कटौती करनी पड़ती है।
यदि महंगाई इसी तरह बढ़ती रही तो निश्चय ही आम आदमी के लिए अपना घर चला पाना और कठिन हो जाएगा। महंगाई रोकने के लिए सरकार को न सिर्फ गंभीरता से सोचना चाहिए बल्कि इससे संबंधित नीतियां भी बनानी चाहिए। पेट्रोल व डीजल के दाम महंगाई को और भड़काते हैं, इसलिए जरूरी है कि इनकी कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भी विशेष प्रबंध किए जाएं।
रामकृपाल दुबे, ग्वालियर

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे

नियंत्रक व महालेखा परीक्षक संस्था (कैग) और उसके प्रमुख विनोद राय पर कांग्रेसनीत सत्ता-सरमायेदारों की केन्द्रीय इकाई का हल्ला-बोल खिसियानी बिल्ली-खंभा नोचे की लोकोक्ति चरितार्थ कर रहा है। 2-जी स्पेक्ट्रम, कोल ब्लॉक आवंटन, आदर्श सोसायटी हाऊस सहित केन्द्रीय सत्तारुढ़ (संप्रग-2) शासन के कार्यकाल में हुए घोटालों, अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को उजागर कर कैग और इस संस्था के प्रमुख विनोद राय कांग्रेस सत्ता-सरमायेदारों की आँखों की किरकिरी बन गए है।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी कैग को हद में रहने की धमकी (सलाह) दे रहे हैं। क्या यह खिसियानी बिल्ली-खंभा नोचें का उदाहरण नहीं है?
राकेश कुमार मिश्रा, महू






Updated : 19 Feb 2013 12:00 AM GMT
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