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जनमानस

मध्यम वर्ग-अधिकतम दर्द


आजादी के बाद प्रारम्भ में ओद्यौगिक क्षेत्र में उन्नति तथा विदेशों की तर्ज पर महानगरों की उन्नति पर अधिक जोर था। स्वरोजगार को बढ़ावा नहीं था इस कारण लघु उद्योगों का विस्तार नहीं हुआ और जो थे भी वह भारी उद्योगों के दबाव में ध्वस्त हो गए। मध्यम वर्ग का मुख्य आधार सरकारी नौकरी, औद्योगिक महानगरों में कारखानों में नौकरी खुदरा व्यापार की मध्यम व छोटी दुकानें, अध्यापन वकालात आदि थे। ग्रामीण क्षेत्र के विकास पर ध्यान कम था। सिचाई, शिक्षा, चिकित्सा, यातायात आदि का अभाव था। ग्रामीण हस्तशिल्प समाप्त होता गया। परिणाम स्वरूप रोजगार व शिक्षा की तलाश में नगरों व महानगरों की ओर पलायन दिनोंदिन बढ़ा। जिस कारण नगरों में जनसंख्या बढ़ी जिसमें अधिसंख्य ने इसी वर्ग का स्वरूप खड़ा किया। उच्च माध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग तथा तृतीय श्रेणी से मिलकर मध्यम वर्ग बनता है। आज के राजनैतिक व्यक्ति व पार्टियां मध्यम वर्ग का चिन्तन नहीं करते क्योंकि मध्यम वर्ग वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल नहीं होता। देश में सबसे दयनीय स्थिति इसी वर्ग की है। परिवार के सारे लोग नहीं कमाते क्योंकि इस वर्ग की आजीविका शिक्षा पर आधारित होती हैं। परिवार में एक व्यक्ति कमाने वाला होता है और शेष खर्च करने वाले होते है। वह उच्च वर्ग के लोगों के बीच उनके सहायक व अधीनस्थ कर्मचारी आदि के रूप में रहता है। बच्चों की अच्छी शिक्षा जो बहुत महंगी है उसका दबाव, नौकरी अथवा जीवन यापन का समुचित साधन निर्मित करने का दवाब तथा जिस वर्ग के निकट रहता है उनके अनुरूप जीवन स्तर व जीवन शैली का दवाब और इस सबके साथ साथ सभी प्रकार के पारिवारिक, सामाजिक दायित्व पूरे करने का दबाव झेलते हुए जीवन व्यतीत करता है। इसी कारण मध्यवर्ग का जीवन सर्वाधिक संघर्षपूर्ण एवं कठिन होता है तथा वह परिस्थतियों का दास बनकर रह जाता है। यत्र-तत्र चर्चाओँ में भाग लेकर अपना आक्रोश तो प्रकट कर लेता है परन्तु समय, धन व जनबल के अभाव के कारण सत्ता में बैठे लोगों को मध्यम वर्ग के हित चिन्तन के लिए विवश नहीं कर पाता।
महंगाई व कालाबाजारी से सबसे अधिक मध्यम वर्ग ही पिसता है। उद्योगपति, बड़ा व्यापारी तथा अन्य उत्पादक वर्ग अपना दाम बढ़ा लेते हैं। मजदूर व अन्य श्रम जीवी वर्ग भी अपना दाम बढ़ा लेते हैं। परन्तु मध्यम वर्ग के व्यक्ति के पास कोई मार्ग नहीं होता सिवाय अपने व परिवार के खर्चों में कटौती करने के।

ओमप्रकाश श्रीवास्तव, एड़वोकेट, ललितपुर

Updated : 16 Feb 2013 12:00 AM GMT
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