जनमानस
कथित बुद्धिजीवी और महिलाएं
बाबा, वैज्ञानिक, जज, पत्रकार, डाक्टर आदि सभी पढ़े लिखे बुद्धिजीवी वर्ग के रसूखदार व्यक्तियों पर यौन शोषण के मामले मीडिया की सुर्खियों में है।
नारी स्वतंत्रता की हामी भरने वाले यह कथित बुद्धिजीवियों की बुद्धि को पक्षाघात क्यों हो जाता है। जब उनके अधीनस्थ महिला कर्मचारी एकान्त में पाते है तो अन्दर का भेडिय़ा जाग जाता है और वह उनका यौन शोषण करने से नहीं चूकता, निश्चित ही ये वे लोग होते है। जो राजनैतिक रसूख के चलते ऐसा करते हैं। दो मुद्दे प्रमुख रूप से सुर्खियों में है कथित संत आसाराम बापू और अंग्रेजी पत्रिका के चीफ एडिटर तरुण तेजपाल। तमाम हो हल्ला के बाद तेजपाल की गिरफ्तारी हुई। तहलका पत्रिका के संपादक का तहलका देश की मीडिया के लिए चटपटी खबर का मसाला हो गई है। अपनी बेटी समान मित्र की बेटी के साथ निहायत शर्मनाक कृत्य किया है। निश्चित ही पवित्र रिश्ते को तार-तार किया है। ऐसा केन्द्रीय सत्ता के संरक्षण में हुआ। उधर गुरु ने अनगिनत शिष्याओं को भोग सामग्री मानकर भोगा निश्चत ही गुरु शिष्य के पावन रिश्ते के साथ ही संत समाज को कलंकित किया है। महिलाओं को जहां सनातन से देवी माना जाता हो उस देश में ऐसे अपराध के लिए सजा-ए मौत सुनिश्चित होनी चाहिए।
कुंवर वी.एस. विद्रोही, ग्वालियर