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जनमानस

मुर्दे की हुंकार

हमारे साथ एक नहीं तीन-तीन बार युद्ध में कुत्ते की तरह दुम दबा कर भागने वाला पाकिस्तान, जो अमेरिकी टुकड़ों पर पलता है एवं चीन के शह देने पर उछलता है। जिसकी अपनी कोई विसात नहीं है। ऐसे मुर्दा देश ने कश्मीर के मुद्दे पर फिर एक बार भारत से जंग की हुंकार भरी है।
निश्चित ही उसकी यह हुंकार घोर अवसाद की स्थिति की पराकाष्ठा है। पाकिस्तान अच्छी तरह जानता है कि भारतीय शक्ति के आगे उसकी एक नहीं चलेगी। लेकिन चीन के शह पर आज पाकिस्तान वह सब करने कराने पर उतारू है जो उसे नहीं करना चाहिए। एक बयान में पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि कश्मीर एक ऐसा मुद्दा है जिसके कारण कभी भी दोनों देशों के बीच जंग छिड़ सकती है तथा उसने यह भी कहा कि स्वतंत्र कश्मीर उनके जीवन का सपना है।
सच तो यह है कि कश्मीर कोई मुद्दा है ही नहीं यह भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। रही बात शरीफ साहब के स्वतंत्र कश्मीर के सपने की तो यह उसका दिवास्वप्न है जिसे वह विस्तारवादी, अवसरवादी धूर्त चीन के चश्मे से देख रहा है, जो स्वयं पाकिस्तान के लिए अत्यन्त अनिष्टकारी साबित हो सकता है। शरीफ साहब को कश्मीर की ओर आंख उठा कर देखने के पहले भारतीय फिल्म ''गदर के एक डायलाग का अवश्य ध्यान कर लेना चाहिए जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि,
दूध मांगा तो हम खीर देंगे,
कश्मीर मांगा तो हम चीर देंगे।
हमें भी अब पाकिस्तान को किसी भी तरह का सुझाव या चेतावनी देने के बजाय कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है। हमें सर्व प्रथम अपने घर को साफ करने की जरुरत है। अत: धारा 370 को अतिशीघ्र हटा कर कश्मीर में रह रहे गिलानी जैसे जितने भी अलगाववादी नेता हैं जो कश्मीर को भारत से अलग करने का मंसूबा रखते हैं। उन्हें या तो उठा कर पाकिस्तान के लिए पैक कर देना चाहिए या फिर उनकी ऐसी नकेल कसनी चाहिए कि उन्हें सपने में भी पाकिस्तान नजर नहीं आए।
नवाज शरीफ को चाहिए कि अगर वह वास्तव में पाकिस्तान का भला चाहते हैं तो कश्मीर की स्वतंत्रता का सपना के बजाय पाकिस्तान को ही भारत में विलय करने का मन बना लें, फिर देखते हैं कि कौन हमारी ओर आंख उठा कर देखता है। हम भी यही समझेंगे कि सुबह का भूला शाम को वापस घर आ गया है।

प्रवीण प्रजापति, ग्वालियर

Updated : 7 Dec 2013 12:00 AM GMT
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