इंटर्न शोषण के मुद्दे को दबाया नहीं जा सकता: सिब्बल

नई दिल्ली। सेनानिवृत न्यायाधीश एके गांगूली के यौन शोषण मामले में सरकार और उच्चतम न्यायालय आमने सामने आ गये है। केन्द्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने पूर्व न्यायाधीश गांगूली के केस में न्यायालय के निर्णय पर एतराज जताया है। सिब्बल ने कहा कि सिर्फ इस बात से कार्रवाई करने से उच्चतम न्यायायल माना नहीं कर सकता की कोई न्यायाधीश सेवानिवृत हो गया है।
सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से थोडा निराश हुई है। सिब्बल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की समिति ने अपने जांच में यौन संबंध बनाने के लिए उसकाने की बात को सही पाया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को दबाया नहीं जा सकता है।
कानून मंत्री ने कहा कि आज के फैसले से लगता है कि उच्चतम न्यायालय ने मामले को दबा दिया है। क्योंकि न्यायालय ने कहा कि उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है।
गौरतलब है कि न्यायाधीश सेवा निवृत, गांगूली पर एक विधि प्रशिक्षु ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। किसी भी न्यायाधीश पर इस प्रकार के आरोप लगने का अपने तरह का यह पहला मामला था। मामले की गंभिरता को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने जांच के लिए तीन सदस्यीसय समिति बनाई। समिति ने यह कहते हुए इस मामले से पल्ला झाड लिया कि गांगूली अब उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नहीं है इसलिए मामले से कोई लेना देना नहीं है।
एक साल पहले उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हो चुके न्यायमूर्ति गांगुली इस समय पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के प्रमुख हैं और उन पर एक इंटर्न ने पिछले वर्ष दिल्ली में होटल के एक कमरे में यौन रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। न्यायाधीश गांगुली ने इन आरोपों से इनकार किया है।