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जनमानस

फूट डालो की नीति पर कांग्रेस

भारत में जिस प्रकार से अंग्रेजों ने फूट डालकर शासन किया, आज इसी तर्ज पर कांगे्रस पार्टी भी शासन करती दिखाई दे रही है। कांग्रेस ने भारतीय समाज में जिस प्रकार से विभाजन का बीज बोया है, उससे भारत कमजोर होता जा रहा है। वास्तव में देखा जाए तो भारत का जो मूल स्वभाव है, वह सांस्कृतिक परिवेश वाला रहा है, लेकिन लगता है कि भारत का सांस्कृतिक परिवेश कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है, इसके पीछे कांग्रेस की मंशा क्या हो सकती है, इस सवाल का जवाब खोजना बहुत जरूरी है। अभी सवालों का जवाब नहीं खोजा गया तो ऐसा न हो कि बहुत देर हो जाए और हम हाथ मलते रह जाएं।
कांस ने जिस प्रकार से समलैंगिकता का समर्थन किया है, उससे तो साफ साफ यही परिभाषित होता है कि कांगे्रस पर वैश्विक स्तर पर यह दबाव है कि कैसे भी हो भारत की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट किया जाए। समलैंगिकता का खेल विदेश के लिए कोई नया नहीं है, लेकिन भारत के लिए रिश्तों की मर्यादा को तोडऩे वाला है। वर्तमान में भारत की नवीन पीढ़ी जिस प्रकार से पाश्चात्य वातावरण को अपना रही है, उसमें कांग्रेस का बहुत ही योगदान है। कांग्रेस हमेशा ही अपनी नीतियों से विदेशी विचारधारा को पुष्ट करती दिखाई देती है, वह चाहे धर्मान्तरण का मुद्दा हो या फिर आतंकवाद का। कांग्रेस ने हमेशा ही ढीला रवैया अपनाया है। इसके अलावा हिन्दू समाज के मानबिन्दुओं को नष्ट करने का अभियान कांग्रेस ने जारी रखा है। रामसेतु, अयोध्या का राममंदिर और धर्मांतरण इसके उदाहरण हैं। भारत के हिन्दू समाज को अपनी संस्कृति के विरुद्ध उठने वाले प्रत्येक कदम का हर संभव विरोध करना चाहिए।
सुरेश हिन्दुस्थानी, ग्वालियर

Updated : 25 Dec 2013 12:00 AM GMT
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