थोक मुद्रास्फीति घटकर आ सकती है 6.5 फीसदी पर : रंगराजन
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मुंबई। सब्जियों के बाजार में नरमी से दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति घटकर 6.5 प्रतिशत व खुदरा मुद्रास्फीति 9.20 प्रतिशत पर आ सकती है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन ने सोमवार को यह बात कही। रंगराजन ने इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान के रजत जयंती समारोह के मौके पर अलग से बातचीत में उन्होंने कहा, "महंगाई बढने की वजह प्याज जैसी सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी है।
दिसंबर में इनकी कीमतों में गिरावट आई है। ऎसे में जनवरी मध्य में आने वाले दिसंबर के खुदरा मुद्रास्फीति के आंक़डों में हमें दो से ढाई प्रतिशत की गिरावट देखने को मिलेगी, जो फिलहाल 11 प्रतिशत पर है। थोक मुद्रास्फीति में एक प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।"" नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 14 माह के उच्च स्तर 7.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति आठ माह के उच्च स्तर 11.24 प्रतिशत पर रही। रंगराजन ने कहा कि आगे भी मुद्रास्फीति में गिरावट का रख जारी रहेगा और मार्च अंत तक थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर 6.5 प्रतिशत पर आ सकती है। रंगराजन कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि परियोजनाओं के पूर्ण होने में विलंब से पिछले कुछ साल में देश में आर्थिक वृद्धि दर में घटी है।
उन्होंने कहा, "वृद्धि दर में गिरावट निवेश में आई कमी की तुलना में अधिक रही है। इसकी वजह संभवत: यह है कि परियोजनाओं का क्रियान्वयन समय पर नहीं हुआ।" कुछेक मामलों में परियोजनाओं में देरी कोयला या बिजली न मिलने की वजह से हुई। बीते वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर घटकर दशक भर के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गई।
रंगराजन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कई अध्ययनों के अनुसार चालू खाते के घाटे का स्तर सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत पर रहता है, तो यह टिकाउ स्तर है। हालांकि, इससे कम चालू खाते के घाटे का स्तर वांछित है। रंगराजन ने कहा, "सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत के चालू खाते के घाटे तथा जीडीपी के 32 फीसद की बचत दर से हम अर्थव्यवस्था के 8.5 फीसद की दर से बढने की उम्मीद कर सकते हैं।"