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राष्ट्रमंडल को दंडात्मक और न्यायिक संस्था न बनने दें: राजपक्षे

राष्ट्रमंडल को दंडात्मक और न्यायिक संस्था न बनने दें: राजपक्षे
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कोलंबो | श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कहा कि सदस्य देशों को राष्ट्रमंडल को (दंडात्मक और न्यायिक संस्था) बनने और द्विपक्षीय एजेंडे को लागू करने से बचना चाहिए।
ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के खिलाफ युद्ध में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला राष्ट्रकुल शिखर बैठक में उठाना चाहते हैं। इसके जवाब में राजपक्षे ने कहा कि अगर राष्ट्रमंडल को समसामयिक रहना है तो उसे जनता की आवश्यकताओं की ओर ध्यान देना होगा।
उन्होंने शासनाध्यक्षों और विदेश मंत्रियों का स्वागत करते हुए (आतंक के 30 वर्ष) के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के बाद देश में शांति बहाली की चर्चा की। उन्होंने राष्ट्रमंडल को सामूहिक एकता की ऐसी विशिष्ट संस्था बनाने पर जोर दिया जिसमें आदेशात्मक और बांटने वाले तरीके न अपनाए जाएं।
तमिलनाडु के राजनीतिक दलों द्वारा विरोध के बाद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सम्मेलन में शामिल नही होने का फैसला किया। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद इसमें भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। बैठक में मॉरीशस की ओर से विदेश मंत्री अरुण बुल्लेल और कनाडा की ओर से कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर की ओर से संसदीय सचिव दीपक ओवराय भी बैठक में उपस्थित रहे। कनाडा और मॉरीशस के प्रधानमंत्रियों ने श्रीलंका के मानवाधिकार के खराब रिकॉर्ड के कारण सम्मेलन का बहिष्कार किया है।

Updated : 14 Nov 2013 12:00 AM GMT
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