जनमानस
उस बाबा की कौन सुनेगा
सपने को आधार मानकर एक बाबा ने जो कुछ जानकारी दी, उससे धन खोजने की कवायद शुरू हो गई है। इसके विपरीत एक और बाबा ने सरकार को काले धन की जानकारी दी तो बाबा के पीछे सीबीआई को लगा दिया। बाबाओं की बात मानने में सरकार का यह पक्षपात वाला रवैया किसी के भी गले नहीं उतरता। यह बात तो सही है कि भारत का काला धन विदेश की बैंकों में जमा है। लेकिन हमारी सरकार ने जितनी जल्दबाजी सोना खोजने में लगाई, उतनी काला धन लाने में क्यों नहीं दिखाई। इससे सरकार की नीयत का पता चलता है। सरकार द्वारा काले धन के लिए कार्यवाही नहीं किए जाने से अनेक सवाल पैदा होने लगे हैं। कहीं सरकार को इस बात का तो डर नहीं है कि कांगे्रस के नेताओं का ज्यादा धन निकल आया तो बदनामी हो जाएगी। और कांगे्रस के लिए उस स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा। कुछ-कुछ संकेत तो इस बात को प्रमाणित करते दिखाई देते हैं क्योंकि कालेधन को लेकर जितनी बदनामी सरकार की हुई है, उतने में तो कोई भी जांच कराने को तैयार हो जाता, लेकिन हमारी सरकार विदेश में जमा काले धन का अभी तक विवरण तक नहीं ले पाई है। इसे सरकार की नाकामी नहीं तो और क्या कहा जाएगा। अरे सरकार वालो बाबाओं की बात इतनी ही सुनते हो तो इस बाबा की भी सुन ली जाए और काले धन को भारत में लाया जाए।
सुरेश हिन्दुस्तानी, ग्वालियर