प्रधानमंत्री पर मामला दर्ज करने की मांग उचित नहीं : मनीष तिवारी

नई दिल्ली । सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तीवारी ने कोयला ब्लॉक आवंटन में प्रधानमंत्री पर मामला दर्ज किये जाने की मांग को गलत बताया है। तिवारी ने विपक्ष के इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि मंत्रालय के प्रशासनिक प्रमुख और मंत्रालय के राजनीतिक प्रमुख में अंतर होता है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा नौकरशाही के स्तर पर सरकार की ओर से लिए गए प्रशासनिक फैसलों के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराना अनुचित होगा। उन्होंने कहा कि कोयला मंत्री के रूप में शिबू सोरेन के इस्तीफे के बाद सिंह ने अंतरिम रूप से कोयला मंत्रालय का पद संभाला था।
उन्होंने कहा कि जब कोई फाइल प्रधानमंत्री के पास पहुंचती है तब तक यह मंत्रालय के नौकरशाही और प्रधानमंत्री के कार्यालय के नौकरशाहों की ओर से प्रोसेस की जा चुकी होती है। ऐसे में पारेख की ओर से यह कहने के लिए करना कि प्रधानमंत्री भी बराबरी के सहअपराधी है, मुझे लगता है कि यह खिंचा जा रहा है।
तिवारी ने यह बात पारेख की टिप्पणी से संबंधित एक सवाल पर कही जिसमें पूर्व कोयला सचिव ने कहा था कि अगर उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और वह साजिश के दोषी हैं तो निश्चित रूप से पूर्व कोयला राज्य मंत्री डी. नारायण राव और प्रधानमंत्री भी उस साजिश के हिस्सेदार होंगे क्योंकि आबंटन उन दो मंत्रियों के दस्तखत के बगैर नहीं होता।
तिवारी ने इसके साथ ही साफ किया कि महज किसी प्राथमिकी में किसी का नाम आने और यहां तक कि उसके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल होने से वह शख्स दोषी नहीं नहीं हो जाता। केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा ना तो कोई प्राथमिकी और ना ही कोई आरोप पत्र दोष का निर्णायक सबूत है। तिवारी ने कहा कि वह मामले में प्राथमिकी के पंजीकरण पर सीबीआई की आलोचना से सहमत नहीं हैं। 

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