जनमानस

अंतिम विकल्प युद्ध ही है

पाकिस्तान का निरंतर युद्ध उन्माद भड़काना और आतंकवादियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने के लिए भारतीय चौकियों पर हमले करना तथा जम्मू कश्मीर में अस्थिरता पैदा कराना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान भारत से शांति नहीं केवल युद्ध चाहता है भारत को भी अब बार-बार वार्ता के लिए व्याकुलता प्रदर्शित नहीं करना चाहिए बल्कि युद्ध के लिए पूर्णरूप से तैयार रहना चाहिए। एक ऐसा युद्ध जो आतंकवाद के साथ-साथ जम्मू कश्मीर की समस्या को अंतिम छोर तक समाप्त किए जाने तक लड़ा जाए। जिसका निष्कर्ष केवल भारतीय कूटनीति और निदेशनीति के अनुसार हो न कि अमेरिका या पश्चिमी ताकतों के दबाव में हो। ऐसा युद्ध जो आतंकवादियों उनके पनाहगारों तथा पाकिस्तान को सदियों तक याद आए तथा भारतीय स्वाभिमान की रक्षा कर सके। माना तो यह जाता है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं होता परन्तु जब किसी समस्या का समाधान किसी और तरीके से नहीं हो तो हमें श्रीमद्भगवत गीता के इस श्लोक से प्रेरणा लेना चाहिए कि -'उतिष्ठ युद्ध कृतनिष्यंति।
पाकिस्तान द्वारा युद्ध के लिए भारत को भड़काने का प्रमुख कारण यह है कि वह यह अच्छी तरह जानता है कि भारत अन्तर्राष्ट्रीय दबाव में है तथा पाकिस्तान से मित्रता रखने वाले भारत के पड़ोसी देश चीन, बांग्लादेश, वर्मा आदि देश भारतविरोधी गतिविधियों में पाकिस्तान को सहयोग देते रहते है इस दबाव में भारत कभी भी पाकिस्तान के विरुद्ध सैन्य कार्यवार्ई नहीं करेगा। यह कटु सत्य है कि भारत की विदेश और गृह नीति असफल हो चुकी है परन्तु पाकिस्तान सहित तमाम भारतविरोधी देशों को यह अच्छी तरह समझना चाहिए कि देश की अखण्डता और देश के स्वाभिमान की कीमत केवल सरकारी नीतियों से ही नहीं आंकी जाती, बल्कि जो जनता सरकार में बैठे अपने प्रतिनिधियों को चुन कर सरकार चलाने की जिम्मेदारी सोंपती है वह जनता वक्त आने पर
अपने देश की अखण्डता और एकता की भी रक्षा कर सकती है। इसी जनता के घरों से देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले जांबाज सैनिक भी निकलते है जो किसी सत्तावादी साम्प्रदायिक या वोटों की राजनीति से ग्रस्त नहीं होते वह तो देश पर अपनी जान लुटाने के लिए तत्पर रहते है यही जांबाज भारत विरोधी शक्तियों को अनेक बार धूल चटा चुके है और अगर अवसर आया तो पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर देंगे।

दिलीप मिश्रा, ग्वालियर

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