राजनाथ सिंह का फिजिक्स लेक्चरर से बीजेपी अध्यक्ष तक का सफ़र
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नई दिल्ली। बीजेपी के अध्यक्ष चुने गए राजनाथ सिंह पहले भी विभिन्न संकटों के बीच सरताज बनकर उभरे हैं। ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव बहुत दूर नहीं है तब राजनाथ सिंह का इस पद पर चुना जाना बहुत मायने रखता है। नितिन गडकरी के बाद बीजेपी की बागडोर संभालने वाले 61 वर्षीय सिंह उत्तरप्रदेश से हैं। राजनीतिक हलकों में उन्हें काफी मृदुभाषी और बेलाग बोलने वालों में माना जाता है। इससे पहले भी वह इस भूमिका को अंजाम दे चुके हैं। अब आगे उनके सामने प्रमुख चुनौती है आगामी आम चुनाव।
सिंह की निर्विवाद और प्रतिद्वंद्वियों के बीच बेहतर छवि ने उनके नाम पर सहमति बनाने में मदद की। राजनाथ सिंह ऐसे समय में पार्टी का दायित्व संभाल रहे है जब ठीक तीन दिन पहले ही कांग्रेस ने अपने 'युवराज' राहुल गांधी को उपाध्यक्ष बनाया है। अब एक अहम सवाल है कि क्या सिंह बीजेपी को कांग्रेस के बरक्स खड़ा कर पाएंगे। कॉलेज में फिजिक्स के लेक्चरर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले राजनाथ सिंह का पार्टी में धीरे-धीरे उदय हुआ। 2006 से 2009 के दौरान बीजेपी प्रमुख के तौर पर उन्होंने काफी प्रतिष्ठा हासिल की और दिखा दिया कि चाहे मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी हो या केंद्रीय मंत्री या फिर पार्टी की कमान, वह कुशलता से जिम्मेदारी निभा सकते हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के बाद 2005 में बीजेपी की बागडोर संभालने वाले राजनाथ सिंह ने पार्टी को फिर से एकजुट किया और पार्टी की मूल विचारधारा हिंदुत्व पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में कोई समझौता नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में 10 जुलाई 1951 को जन्मे सिंह ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में एमएससी की डिग्री हासिल की। 1971 में मिर्जापुर में केबी पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री कॉलेज में लेक्चरर नियुक्त हुए। कदम दर कदम आगे बढ़ने वाले सिंह ने 1969 में गोरखपुर में बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में संगठन सचिव से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1974 में वह जनसंघ के मिर्जापुर ईकाई के सचिव बने। आपातकाल के दौरान सिंह जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए।