जनमानस
अपराधों पर पुलिस गंभीर नहीं
ऐसा लगता है कि सम्पूर्ण देश में कानून और व्यवस्था के कोई मायने नहीं रह गए हैं। अपराधियों को कानून और शासन का कोई भय नहीं रहा है। आज जब सारा देश दामिनी के बलात्कार पर ढुलमुल कानून व्यवस्था पर आक्रोषित है तब भी आपराधिक घटनाएं बर्बरतापूर्वक जारी है। अंग्रेजी नववर्ष के पहले दिन ही गुजरात के जूनागढ़ स्थित जैन धर्मावलम्बियों के सिद्ध तीर्थ क्षेत्र गिरनार पर्वत पर जैन दिगम्बर मुनि प्रबल सागर महाराज पर स्थानीय लोगों द्वारा चाकू मारकर जानलेवा हमला किया गया। सम्पूर्ण विश्व को अहिंसा का संदेश देने वाले संत पर कातिलाना हमले से सारे देश का जैन समाज सन्न और आक्रोश में है। जैन मुनि पर हमले का मूलकारण गिरनार पर्वत पर जैन धर्मावलम्बियों द्वारा की जाने वाली तीर्थ यात्रा में स्थानीय लोगों द्वारा बाधा डालने को लेकर है। देश के विभाजन के समय तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल द्वारा गिरनार पर्वत को पूरातात्विक और ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर जैन श्रद्धालुओं की मौलिक आस्था का केन्द्र मानते हुए उसे पाकिस्तान को जाने नहीं दिया। समय बदलते-बदलते वहां स्थानीय लोग बसने लगे और इस तीर्थस्थल पर आने वाले तीर्थयात्रियों से मारपीट और लूटपाट करने लगे। जैन तीर्थयात्री इस प्रकार की शिकायतें निरन्तर पुलिस प्रशासन से करते रहे हैं किन्तु कभी भी शासन प्रशासन ने जैन तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और उसके दर्शन और पूजा के मौलिक अधिकार की रक्षा को कभी गम्भीरता से नहीं लिया है।सर्वविदित है कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रविरोधी शक्तियां पवित्र अमरनाथ यात्रा में अडंगा लगाने और यात्रा पर रोक लगाने की कोशिशें करती रही हैं। हिन्दू समाज की धार्मिक आस्था और इस तीर्थ पर उसके मौलिक पूजा अधिकार के लिए सरकार सेना की व्यापक व्यवस्था करती है किन्तु यात्रा कभी नहीं रुकने देती। इसी प्रकार केन्द्र सरकार सऊदी अरब जाने वाले भारतीय मुस्लिमों की हज यात्रा को व्यापक सुविधाएं प्रदान करती है। फिर क्या कारण है कि देश की मुख्य धारा से जुड़े जैन धर्मावलम्बियों को उनके सिद्धतीर्थ क्षेत्र में तीर्थ यात्रा करने के लिए केवल व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की मांग को स्वीकृत नहीं किया जाता। कहीं यह हिन्दू समाज के विभिन्न घटकों को छिन्न-भिन्न करने और जैन समाज को अहिंसा का मार्ग त्याग देने पर विवश करने की साजिश तो नहीं है।
कमल कुमार जैन, ग्वालियर