ज्योतिर्गमय
मकर संक्रांति का पुण्यकाल और स्नान दान का समय
पंचांग के अनुसार इस वर्ष सूर्य 13 जनवरी की मध्य रात्रि के बाद धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। मकर राशि में देर रात सूर्य के प्रवेश के साथ ही मकर संक्रांति शुरू हो जाएगी। 14 जनवरी को ब्रह्ममुहूर्त से ही स्नान दान का कार्य किया जा सकेगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पुण्यकाल का समय 14 जनवरी सोमवार को 1 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में ही धार्मिक कार्य संपन्न करना पुण्यदायी होगा। शास्त्रों में सभी संक्रांतियों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन देवताओं का दिन आरंभ होता है। स्वर्ग का द्वार खुलता है इसलिए मकर संक्रांति के दिन किये गये दान पुण्य धर्मिक कार्यों का सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक लाभ मिलता है। मकर संक्रांति के बाद भी कुछ दिनों तक शीत ऋतु का प्रभाव बना रहता है इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि मकर संक्रांति के मौके पर शीत से बचाव करने वाली चीजों का दान करना श्रेष्ठ होता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, कंबल, अनाज और वस्त्र का दान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव एवं शनि महाराज की पूजा का भी बड़ा महत्व है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य एवं शनि की पूजा करने से वर्ष भर ग्रहों के कुप्रभाव से बचाव होता है। शनि महाराज कष्ट नहीं देते हैं और धन-वैभव में इजाफा होता है। शास्त्रों में मकर संक्रांति के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना उत्तम बताया गया है क्योंकि सूर्य भगवान विष्णु के अंश माने जाते हैं।