जनमानस

अनैतिक कृत्यों के लिए उत्तरदायी कौन


भारत में यद्यपि बलात्कार, अपहरण एवं देह व्यापार पूर्व ही से प्रचलन में है। दामिनी काण्ड से ऐसे अनैतिक कार्यों को शौहरत व प्रचार मिला है। इसका एक कारण यह भी है कि यह जघन्य अमानवीय कार्य देश और दिल्ली सराकरों की नाक के नीचे घटित हुआ है। इसके लिए मन मोहनसिंह एवं शीला दीक्षित की जितनी भत्र्सना की जाए कम है। आज पुरुष वर्ग को नसीहत दी जा रही है। जब कि महिलाएं अपने विरुद्ध कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। जब-जब भी युवतियों को अभिभावकों या बुजुर्गों की ओर से मर्यादित आचरण की सीख दी गई उन्हें कड़वी दवा के तुल्य लगी। शालीन व सभ्य डे्रस कोड की बात कॉलेजों से उठी तो उसके विपरीत लड़कियां लाभ-बंद हो गईं. आज जीन्स टॉप एवं अन्य अंग प्रदर्शक तंग अत्याधुनिक वेशभूषा को त्यागने को बात उठती है वे नागिन की तरह फुंकारने लगती हंै। कर्ई मंत्रियों सांसदों सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा आम प्रबुद्धजनों ने उन्हें संयत सरल सादा लिबास में रहने को कहा उन्होंने उसे नारी अधिकार में कटौती की तरह देखा। हमें जेब कतरों, लुटेरों बदमाशों से अपनी जेबों व सामान चोरों से घर गुंडों बदमाशों से शारीरिक क्षति के प्रति सावधानी वरतनी होती है, ठीक वैसे ही मां बहनों व बेटियों की लज्जा व सम्मान की सुरक्षा व अस्मिता के प्रति अत्याधिक सजग रहने की जरुरत है। ियां हमारी वेशकीमती धरोहरें हैं। व विन्यास होता है शरीर एवं शरीर के अंगों के दुराव छिछोरों, व दुराचारियों की कुदृष्टि से बचाने के लिए। क्योंकि कि आज का मनुष्य समस्त सीमाओं को लांघ कर रावण का बड़ा भाई बन चुका है। इसीलिए पिता पुत्रियों, मामा भानजियों, भाई-बहनों गुरु शिष्याओं के पावन रिश्तों को कलंकित करते देखे जाते हैं। हम अपने कीमती सामान की प्रदर्शिनी करें तो इसका अंजाम तो जग जाहिर ही है।

पंडित रघुवीर सहाय आर्य, ग्वालियर


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