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ज्योतिर्गमय

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लाभप्रद ओऽम् ध्वनि

ओउम की महत्ता से शायद हम सब वाकिफ हैं। पहले ज$img_titleमाने के ऋषि- मुनि ओउम का जाप करते हुए सालों तप करते थे।वरिष्ठ योग व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. ओम प्रकाश आनंद के अनुसार, योगदर्शन में ईश्वर का आदि नाम ओऽम् बताया गया है। ओऽम् ध्वनि के नियमित अभ्यास से नाद का अनुसंधान होता है। नाद का अर्थ है- ब्रहृम और ब्रहृम का अर्थ है- भगवान। ओम ध्वनि की साधना से भगवान के विधान का ज्ञान हो जाता है। फिर भी यह जानकारी कम लोगों को है कि ओऽम ध्वनि के उच्चारण से मस्तिष्क का व्यायाम भी होता है। मस्तिष्क के अस्वस्थ होने पर उसके आंतरिक तंत्र में गड़बड़ी आ जाती है। इसीलिए 50 या 60 साल की उम्र के बाद पार्किनसंस (शरीर-कंपन) या अल्जाइमर (याददाश्त का क्षीण होना) आदि मस्तिष्क से संबंधित रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। जो लोग मनोयोग से ओऽम ध्वनि की साधना नित्य 5 से 10 मिनट तक करते हैं, वे अंतिम समय तक मस्तिष्क के रोगों से बचे रहते हैं। डॉ. आनंद के मुताबिक, ओऽम ध्वनि की साधना में ओ में थोड़ा और म में समय अधिक दिया जाता है। ओऽम ध्वनि के साधकों का अनुभव है कि इससे उनकी स्मरण शक्ति में भी वृद्धि हुई है। उनके अनुसार, आसन पर बैठकर ओऽम ध्वनि का उच्चारण करना चाहिए। घुटनों की तकलीफों से पीडि़त रोगी कुर्सी पर बैठकर इसे कर सकते हैं। हालांकि रोगियों को ओऽम ध्वनि का अभ्यास समुचित इलाज के साथ ही करना चाहिए। 

Updated : 5 Aug 2012 12:00 AM GMT
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