"हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरु रखती है"

नई दिल्ली:प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोयला आवंटन घोलाटे पर मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के भारी हंगामे के बीच लोकसभा में अपना बयान दिया, हालांकि शोरगुल की वजह से उनकी आवाज़ सुनी नहीं जा सकती, जिसके बाद उन्होंने अपना पूरा बयान लोकसभा के पटल पर रख दिया.कोयला आवंटन के मुद्दे पर मनमोहन सिंह के बयान के दौरान बीजेपी लगातार उनकी इस्तीफे की मांग करती रही.हालांकि, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विपक्ष पर हमला करते हुए साफ कहा कि कोयला आवंटन को लेकर किसी तरह की अनियमितता नहीं बरती गई है और कोई घोटाला नहीं हुआ है.ग़ौरतलब है कि कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर पिछले एक हफ्ते से संसद की कार्यवाही नहीं चल पा रही है. सरकार इस मुद्दे पर बहस को तैयार है, लेकिन विपक्ष पीएम के इस्तीफे की मांग पर अड़ा है.दरअसल, कोयला आवंटन को लेकर सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा हा कि आवटंन में पारदर्शिता नहीं बरती गई जिससे सरकार के खजाने को करीब 1.86 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है.
पीएम का बयान
प्रधानमंत्री ने लोकसभा में सोमवार को कोयला ब्लॉक आवंटन पर अपना बयान दिया, लेकिन लोकसभा में भारी हंगामे के कारण वह अपना पूरा बयान हीं पढ़ पाए और इस तरह उन्होंने लोकसभा में अपना बयान रखा दिया.कोयला घोटाले पर मनमोहन सिंह ने कहा, "अनिमयमितता के आरोप बेबुनियाद हैं, क्योंकि सीएजी ने जो आंकड़े पेश किए हैं कि वह तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. अभी कोयला नहीं निकाला है तो घाटे की बात कैसी की जा सकती है."कौल प्रधानमंत्री सीएजी की गणना स्पष्ट रूप से विवादास्पद और तकरारी हैं.प्रधानमंत्री ने संसद में कहा, "मैं माननीय सांसदों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मंत्रालय का इंचार्ज होने के नाते यह कहना चाहता हूं कि कोयला मंत्रालय ने जो भी फैसला किया मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं."मनमोहन सिंह ने संसद के बाहर बीजेपी पर हमला करते हुए एक शेर भी पढ़ा, जिसका लुब्बोलुबाब यह था कि अगर उन्होंने जुबान खोली तो बीजेपी की हकीकत सामने आ जाएगी.उनका शेर था, "हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरु रखती है"उन्होंने कहा, "मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे पास मजबूत व विश्वसनीय मामला है. सीएजी का आकलन विवादास्पद है और हम इसे पीएसी के समक्ष चुनौती देंगे."
एनडीए में फूट
इस पहसे एनडीए खेमे में सरकार को घेरने को लेकर फूट पड़ गई और जिसके कारण आडवाणी के घर पर सुबह 10 बजे होनी वाली एनडीए की बैठक भी नहीं हो सकी.जहां अकाली दल संसद की कार्यवाही सुचारु रुप से चलने देने के पक्ष में है वहीं शिवसेना बीजेपी के साथ है, जबकि जेडीयू का रुख अब तक साफ नहीं है. हालांकि, जेडीयू का यह रुख रहा है कि संसद की कार्यवाही चलने देनी चाहिए.कोयला घोटाले पर संसद में आज फिर हंगामा होना तय है. प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े पर अड़ी बीजेपी टस से मस होने के मूड में नहीं है. पिछले एक हफ्ते से ठप संसद को सुचारु रुप से चलने देने के लिए सरकार के साथ समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी विपक्ष से अपील की है. कोयला घोटाले पर सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद संसद का एक हफ्ता हंगामे की भेंट चढ़ चुका है. कोयला खदानों के आवंटन में 1 लाख 86 लाख करोड़ के नुकसान के आरोप पर सरकार संसद में चर्चा के लिए तैयार है लेकिन बीजेपी प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े पर अड़ी हुई है.बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का कहना है कि चर्चा से हक़ीक़त सामने नहीं आ सकती, इसलिए प्रधानमंत्री को इस्तीफ़ा देना ही पड़ेगा.एनडीए के सहयोगी जेडीयू के अलावा टीडीपी, बीजेडी, समाजवादी पार्टी और बीएसपी भी चर्चा के पक्ष में है.सरकार चाहती है कि संसद की कार्यवाही किसी तरह शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हो जाए, लेकिन संसद में सिर्फ हंगामा ही हंगामा हो रहा है. आज भी दोनों सदनों की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.