ज्योतिर्गमय

सोच का जादू

आदमी का जीवन सोच से चलता है। सोच सही है तो जीवन खुशियों से भरा रहेगा और गलत हुआ तो कष्ट से। सुख-दुख सब हमारे सोच का परिणाम है। सोच से ही कर्म होते हैं और फिर कर्मफल जो अटल है अपनी जगह। इसमें हम कुछ फेरबदल नहीं कर सकते। कहा है जैसा कर्म करेगा इन्सान वैसा फल देगा भगवान। यह सब शायद हर आदमी को मालूम है पर फिर भी भूले रहता है। मुगालते में जीता है। अर्ध्दनिद्रा में जीता है। हमें वही करना चाहिए जो ईश्वर हमसे चाहता है। वह नहीं, जो हम चाहते हैं। तो फिर ईश्वर हमें वह देगा जो हम चाहते हैं वह एक अटल सिध्दांत है। जैसे-जैसे आदमी बड़ा होता जाता है सोच बदलते जाता है। सही या गलत दिशा आपको निर्धारित करनी होती है। हमें कैसे पता लगेगा कि जो हम सोच रहे हैं वह सही या नहीं। जिस विचार से मन में शांति, प्रसन्नता आए वह विचार सही है क्योंकि गलत सोच आपको अशांत करेगा, चिंता भय में डूबो देगा। मोह आसक्ति में डाल देगा और आप ऊपर से शांत दिखेंगे जरूर पर अंदर से बेचैन रहेंगे। यह गलत सोच की पहचान है। आदमी गलत सोचता ही क्यों है? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब भी हमें ढूंढना है। आपके मन के अंदर क्या चल रहा है यह कौन बताएगा, निर्धारित करेगा। यह एक साधना है रोज अभ्यास करना पड़ता है, आत्मचिंतन करना पड़ता है। हम यह सोचें कि हम क्या और क्यों सोचते हैं उससे किसे लाभ है? क्या वातावरण अच्छा बनेगा? सोचना एक जाल बुनना है जो हम पर ही आकर गिरता है। बुरे सोच का जाल बहेलिया के जाल की तरह है जो आदमी स्वयं पर डालता है फिर फंसकर पक्षी की तरह फडफ़ड़ाता है। समस्याएं हैं, रोग हैं, आर्थिक कठिनाइयां हैं। फर्ज है, परिवार में विसंगतियां हैं। सामाजिक स्थितियों की बात छोड़ें पर आदमी का जीवन आज उससे बहुत हद तक प्रभावित होता है। पर सब कुछ दूसरों पर निर्भर होते हुए हमारा सोच हमारा अपना है। हम उसके मालिक हैं उसे हमारा कहना मानना पड़ेगा। जो मालिक बनकर सोच को चलाता है वही सुखी होता है और यदि आप उसके मातहत बन गए तो तकलीफ में ही रहेंगे। आपका मालिक ऊपर बैठा है सब देख रहा है साईंबाबा कहते हैं सबका मालिक एक है। हमें अपना सब कुछ उसे सौंप देना चाहिए। सारी चिंताएं, भय, मोह और अन्य नकारात्मक भाव निश्चिन्तता छोड़कर सुभावों को स्थान दें मन में। यह एक लम्बी प्रक्रिया है। साधना है। करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान- ऐसा कहा जाता है। सोच बदलिए नजरिया बदल जाएगा। हमारा मन एक कल्प वृक्ष है जो मांगेंगे वह मिलेगा। अच्छा सोच अच्छी प्रतिक्रिया, अच्छा वातावरण, अच्छा वृत्त बस थोड़ा प्रयास करें बल्कि सतत प्रयास करते रहें। बस यही मेरा संदेश है।

Next Story