राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक पुंज महाराणा प्रताप
ग्वालियर | मध्य भारतीय इतिहास अनुसंधान प्रतिष्ठान एवं महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 'लोक साहित्य में महाराणा प्रताप विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के विवेकानंद सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में अतिथि वक्ताओं ने कहा कि महाराणा प्रताप राष्ट्रीय अस्मिता एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक पुंज थे। इस दौरान महाराणा प्रताप की अनेक वीर गाथाओं, जीवन संघर्ष एवं अनेकों प्रेरणास्पद घटनाओं का स्मरण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य परिषद के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एस. पवार ने की। मुख्य वक्ता के रूप में नीमच से आए डॉ. पूरन सहगल, विशिष्ट अतिथियों के रूप में प्रो. कुमार रतनम, मध्य भरतीय इतिहास अनुसंधान प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. संजय स्वर्णकार एवं कार्यशाला समन्वयक डॉ. मधुबाला कुलश्रेष्ठ उपस्थित थे। कार्यशाला का उद्घाटन मां सरस्वती के पूजन एवं महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। इस अवसर पर डॉ. पूरन सहगल द्वारा रचित तथा मध्य भारतीय इतिहास अनुसंधान प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित 'लोक साहित्य के महानायक दाजीराज महाराणा प्रताप नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन डॉ. मुधबाला ने किया तथा दतिया से आए डॉ. रामस्वरूप ढेंगुला ने महाराणा प्रताप के जीवन से संबंधित कई पक्षों का उल्लेख लोक साहित्य के माध्यम से किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. सहगल ने लोक साहित्य में महाराणा प्रताप विषय पर अत्यंत खोजपूर्ण एवं गंभीर चर्चा करते हुए कहा कि लोक नायकों को न तो काल समय के बंधन में बांधा जा सकता है, न ही इतिहास के कारागार में बंद किया जा सकता है। इसी क्रम में मुख्य अतिथि श्री पराडकर ने कहा कि इस तरह के आयोजन से निश्चित रूप से समाज में देशभक्ति की भावना का विकास होगा। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए डॉ. पवार ने कहा कि महाराणा प्रताप राष्ट्रीय अस्मिता एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक पुंज हैं। कार्यशाला के समापन सत्र में मध्य भारतीय इतिहास अनुंसधान प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित अद्र्धवार्षिक पत्रिका 'इतिहास संशोधन के द्वितीय अंक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर श्री स्वर्णकार ने डॉ. सहगल को उनके शोधकार्य के लिए सम्मानित भी किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. रविकांत अदालतवाले ने एवं आभार डॉ. आईडी गुप्ता ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. सुशील कुमार, नरेश स्वर्णकार, भास्कर कटारिया, आकाश जैन, ब्रजेश मौर्य, गौतम सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद् उपस्थित थे।