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ज्योतिर्गमय

चुनौतियों पर विजय

शारीरिक समस्याओं का असर यदि हमारे मन पर पडऩे लगा, तो हमारा जीवन दुष्कर हो जाता है। इसलिए शारीरिक चुनौतियों का सामना डटकर करें और मन को विकार रहित रखें..एक युवक कॉलेजमें पढ़ता था। वह अन्य विद्यार्थियों से थोड़ा अलग था। उसे ह्वीलचेयरपर बैठकर कॉलेजजाना पडता था। विकलांगता के बावजूद उसके सहपाठी और शिक्षक उसे बहुत पसंद करते थे। क्योंकि वह मिलनसार और आशावादी युवक था। एक दिन उसके सहपाठी ने उससे पूछा- तुम्हारी इस विकलांगता का कारण क्या है? युवक ने उत्तर दिया- मुझे बचपन में ही लकवा मार गया था। मित्र ने पूछा- इतने बड़े दुर्भाग्य के बावजूद तुम इतनी मुस्कराहट और आत्मविश्वास के साथ संसार का सामना कैसे करते हो? लडके ने मुस्कराकर जवाब दिया- उस रोग ने सिर्फ मेरे शरीर को छुआ है, मेरे मन और आत्मा को नहीं।कितनी ही बार हम स्वयं को या अपने परिवार के सदस्यों को छोटी-मोटी तकलीफों की शिकायत करते देखते हैं। हम आमतौर पर मुश्किलों से परेशान होकर शिकायत करते रहते हैं। लेकिन अगर हम आसपास नजर दौडाएं, तो देखेंगे कि कितने ही लोग गंभीर रोगों से ग्रस्त हैं। किसी का कोई अंग नहीं है, तो किसी को जानलेवा बीमारी है। इनमें से कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इन चुनौतियों के बावजूद जिंदगी को भरपूर जीते हैं। क्योंकि वे उस विद्यार्थी की तरह उसका असर अपने मन और आत्मा पर नहीं पडऩे देते। कई बार कार खराब हो जाती है और उसे मरम्मत के लिए भेजना पडता है। इससे हमें चाहे थोड़े दिनों के लिए असुविधा हो, लेकिन हमें ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हमारी जिंदगी ही खत्म हो गई है। हम जानते हैं कि कार तो सिर्फ एक भौतिक साधन है, जिसका इस्तेमाल हम खुद को एक स्थान से दूसरी जगह ले जाने के लिए प्रयोग करते हैं। इसी तरह हमारा शरीर भी हमारी आत्मा के लिए एक भौतिक साधन है। कभी-कभी इसमें खराबी भी आ सकती है, लेकिन इससे हमारे मन और आत्मा पर प्रभाव नहीं पडऩा चाहिए। हम अपने जीवन को भरपूर जी सकते हैं, चाहे हमारे पास भौतिक साधन हों या न हों। जीवन के किसी न किसी मोड पर हमारे शरीर में बढ़ती आयु के चिन्ह दिखने लगते हैं। हमारा शरीर उतना अच्छा काम नहीं करता, जितना युवावस्था में करता था। लेकिन हमें इससे निराश नहीं होना चाहिए। मन और आत्मा की गहराई में शांति और प्रसन्नता है, जिसे हम खोज सकते हैं। हमारी शारीरिक स्थिति कैसी भी हो, लेकिन हम लोगों के बीच प्रेम और प्रसन्नता बांट सकते हैं। यदि बीमारी के कारण हम घर में हैं, तो परिवार के सदस्यों को प्रेम दे सकते हैं। बीमार तो सिर्फ हमारा शरीर ही रहता है, मन और आत्मा तो सदैव पूर्ण रूप से स्वस्थ रहते हैं। आशावादी और सकारात्मक रवैया अपनाकर हम हर विपरीत चुनौती पर विजय पा सकेंगे और दूसरों के जीवन में खुशी ला सकेंगे।

Updated : 20 Aug 2012 12:00 AM GMT
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