अमेरिका ने लं‍दन में फिर से कायम किया वर्चस्‍व

अमेरिका ने लं‍दन में फिर से कायम किया वर्चस्‍व
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लंदन: अमेरिका हमेशा से ओलंपिक खेलों में पदक जीतने के मामले में सरताज रहा है. 2008 के बीजिंग ओलंपिक में चीन ने उससे अधिक पदक जीतकर उसके इस वर्चस्व को चुनौती दी थी लेकिन उसके चार साल बाद लंदन में अमेरिका ने एक बार फिर सबसे अधिक पदक जीतकर अपनी श्रेष्ठता साबित की. लंदन ओलंपिक में अमेरिका ने 46 स्वर्ण, 29 रजत और इतने ही कांस्य पदकों के साथ सबसे अधिक 104 पदक अपनी झोली में डाले. लंदन में पदकों का शतक लगाने वाला वह एकमात्र देश रहा. एथेंस (103) की तरह लंदन में अमेरिका पदकों का शतक लगाने वाला एकमात्र देश रहा.दूसरी ओर, बीजिंग में 51 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 100 पदक अपने नाम करने वाले चीन ने लंदन में कुल 87 पदक अपने नाम किए. इसमें 27 रजत और 22 कांस्य भी शामिल हैं. बीजिंग के मुकाबले लंदन में चीन को 13 पदकों का नुकसान हुआ.बीजिंग ओलंपिक में अमेरिका ने हालांकि 110 पदक जीते थे लेकिन उसके स्वर्ण पदकों की संख्या चीन से कम रही थी. चार से के अंतराल के बाद अमेरिका ने अपने स्वर्ण पदकों में 10 अंकों का इजाफा किया और कुल पदकों के लिहाज से उसे छह पदकों का फायदा भी हुआ.एथेंस ओलंपिक में भी अमेरिका ने सबसे अधिक 35 स्वर्ण जीते थे जबकि चीन के नाम 32 स्वर्ण रहे थे. चीन ने अपने मेजबानी में इस फासले को न सिर्फ अपने हक में किया था बल्कि अमेरिका से 15 स्वर्ण अधिक भी हासिल किए थे.चीन की तरह ब्रिटेन ने अपनी मेजबानी का फायदा उठाकर अपने पदकों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़त की. बीजिंग में ब्रिटेन ने 19 स्वर्ण हासिल किए थे जबकि लंदन में उसे 29 स्वर्ण प्राप्त हुए। बीजिंग में पदक तालिका में चौथे स्थान पर रहा ब्रिटेन इस बार तीसरे क्रम पर रहा.बीजिंग में रूस तीसरे स्थान पर रहा था, लेकिन मेजबान देश ने उसे इस बार चौथे क्रम पर खिसकने पर मजबूर कर दिया. लंदन में रूस को 24 स्वर्ण मिले, जबकि बीजिंग में उसे 23 स्वर्ण मिले थे. इस तरह एक स्वर्ण के इजाफे के बावजूद रूस को एक स्थान का नुकसान हुआ.बीजिंग में भारत एक स्वर्ण और दो कांस्य पदकों के साथ 50वें स्थान पर रहा था, लेकिन लंदन में स्वर्ण नहीं मिलने के कारण वह कुल छह पदकों के बावजूद 55वें स्थान पर रहा. लंदन में भारत को दो रजत और चार कांस्य मिले.

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