ज्योतिर्गमय
प्रेम स्वार्थ हेतु नहीं कल्याण के लिए करें
उदार मनुष्य दूसरों से प्रेम स्वार्थ हेतु नहीं कल्याण के लिए करता है। नियम बना लें कि आप जिनके सम्पर्क में आएंगे, उनसे सद्भावनायुक्त व्यवहार करेंगे। तब आपके मित्र और हितैषियों की संख्या बढ़ती जाएगी। सद्भावनायुक्त नागरिक ही आपको सामाजिक प्रतिष्ठा और मान-सम्मान देने वाले हैं. उनके दृष्टिकोण एवं विचारधारा पर आपकी सफलता अवलम्बित है। समाज में आपके प्रत्येक कार्य की सूक्ष्म अलक्षित तरंगें निकलती हैं जो दूसरों पर प्रभाव डालती हैं. यदि दैनिक व्यवहार में आप यह नियम बना लें कि हम जिन लोगों के सम्पर्क में आएंगे, उनके साथ सद्भावनायुक्त व्यवहार करेंगे, तो स्मरण रखिए, आपके मित्र और हितैषियों की संख्या बढ़ती जाएगी। प्रेम, उदारता और सहानुभूति आप दूसरों को जितना प्रेम, उदारता और सहानुभूति दिखाएंगे, उनसे दस गुनी उदारता और सहानुभूति प्राप्त करेंगे। उदार मनुष्य दूसरों से प्रेम अपने स्वार्थ साधन हेतु नहीं करता वरन उनके कल्याण के लिए करता है। उदार व्यक्ति में प्रेम सेवा का रूप धारण कर लेता है। किसी से यह न कहिए कि तुम कठोर, कमजोर, दुर्बल, डरपोक हो या तुममे सोचने-समझने की शक्ति नहीं है. आहत करने वाले ऐसे अनेक शब्द पारस्परिक वैमनस्य, कटुता, शत्रुता और लड़ाई का कारण बनते हैं। दूसरों से इस प्रकार चर्चा कीजिए कि वह यह अनुभव करे कि आप उसकी इज्जत करते हैं, उसकी राय की कद्र करते हैं, उससे कुछ सीखना चाहते हैं।
प्रशंसा करें
यदि किसी व्यक्ति के मन पर अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से यह बात बैठ जाय कि आप उसका सम्मान करते हैं, तो वह सदैव आपकी प्रतिष्ठा बनाए रखेगा. व्यक्ति की प्रशंसा इस प्रकार करें कि वह यह न समझ सके कि उसे बनाया जा रहा है।
प्रशंसा से दूसरा उत्साहित होकर अपना हृदय खोल देता है। जितना ही मनुष्य दूसरे की प्रशंसा करता है, उतनी ही उसमें अच्छा काम करने की शक्ति आती है, यहां तक कि कुछ समय पश्चात वह आपको अप्रत्यक्ष रूप से प्रेम करने लगता है।
गुण ग्राहकता
तनिक-सी गुण-ग्राहकता से दूसरा व्यक्ति आपकी ओर आकर्षित हो जाता है। मनोवैज्ञानिक नियम है कि जब आप किसी में दिलचस्पी दिखाते हैं, उसकी महत्ता स्वीकार करते हैं, गुणों की तारीफ करते हैं, तो वह अनायास ही आपसे प्रभावित हो जाता है।
संभव है कोई किसी समय हतोत्साहित हो रहा हो और आपकी गुण ग्राहकता से उसका टूटता साहस पुन: जाग्रत हो जाए और इस कारण वह आपकी ओर आकर्षित हो। जब हम लोगों का गुण ग्राहक दृष्टि से निरीक्षण करने लगते हैं तो हर प्राणी में कितनी ही अच्छाइयां, उत्तमताएं और विशेषताएं दीख पड़ती हैं।