अंबेडकर के कार्टून पर हंगामा, सरकार ने मांगी माफी

नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद [एनसीईआरटी] की किताब में बाबा साहेब अंबेडकर पर आपत्तिजनक कार्टून को लेकर शुक्रवार को संसद में सरकार बुरी तरह फंस गई। दोनों सदनों में विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के इस्तीफे की मांग भी उठी। उत्तेजित सदस्यों के हंगामे और शोरशराबे के कारण पूर्वान्ह में सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल सकी। बाद में सरकार को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आश्वासन के साथ इसके लिए माफी भी मांगनी पड़ी।
कक्षा-11 में पढ़ाई जाने वाली राजनीति शास्त्र की किताब में अंबेडकर के आपत्तिजनक कार्टून का मुद्दा सबसे पहले लोकसभा में उठा। कार्यवाही शुरू होते ही तमिलनाडु की वीसीके पार्टी के थिरुवा बलवन थोल ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, 'एक तरफ हम संसद के 60 साल पूरे होने का जश्न मनाने जा रहे हैं और दूसरी तरफ संविधान निर्माता बाबा साहेब पर कार्टून बनाकर उनका अपमान किया जा रहा है।' उन्होंने आपत्तिजनक कार्टून की प्रति भी सदन में दिखाई। उनके समर्थन में उतरे भाजपा, सपा, बसपा और अन्य दलों के सदस्यों ने भी शोरशराबा शुरू कर दिया। वे मानव संसाधन विकास मंत्री का इस्तीफा मांगने लगे। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सिब्बल एक जवाब देने खड़े ही हुए थे कि बसपा के बृजेश पाठक ने सदन में कार्टून की प्रति दिखाते हुए इस मुद्दे को उठा दिया। भाजपा, जद-यू, राजद और वामदल भी उनके समर्थन में सरकार से सफाई मांगने लगे।
बाद में संसद भवन परिसर में लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा, दोषियों का निलंबन ही नहीं उन पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा भी होना चाहिए। कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि वह इस मामले को सिब्बल के सामने पहले ही उठा चुके थे, लेकिन उन्हें बहुत निराशा हुई कि सिब्बल ने इसे तवज्जो नहीं दी। भाजपा के शाहनवाज हुसैन ने इसे गुनाह-ए-अजीम करार दिया।
सरकार की तरफ से सिब्बल ने दोनों सदनों में सफाई दी और इस गलती के लिए माफी मांगी। राज्यसभा में बसपा की मायावती ने इस पर कहा कि वह सरकार की सफाई से संतुष्ट नहीं हैं। सरकार बताए कि यह कृत्य करने वालों पर क्या कार्रवाई की गई, यह आपराधिक कृत्य है।
1950 के करीब बना था कार्टून
एनसीईआरटी की किताब में छपे नेशनल चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के इस कार्टून में अंबेडकर को घोंघे पर बैठा दिखाया गया है। उनके पीछे पंडित जवाहर लाल नेहरू उन पर चाबुक चलाने की मुद्रा में खड़े हैं। शंकर के नाम से मशहूर कार्टूनिस्ट केशव शंकर पिल्लै ने 1950 के करीब बनाया था। इसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश की गई थी कि संविधान निर्माण में जो देरी हुई और करीब तीन साल का वक्त लगा, उसके लिए अंबेडकर जिम्मेदार हैं। सरकार ने शंकर को 1956 में पद्मश्री, 1966 में पद्म भूषण और 1977 में पद्म विभूषण से नवाजा था।
दो ने दिया इस्तीफा
कार्टून पास करने वाली एनसीईआरटी की पुस्तक सामग्री विकास समिति के दो सदस्यों योगेंद्र यादव और सुभाष पालिस्कर ने इस्तीफा दे दिया है। समिति के अन्य सदस्य भी जल्द इस्तीफा दे सकते हैं।
