अब फैसलों की रफ्तार तेज होगी

अब फैसलों की रफ्तार तेज होगी
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$img_titleनई दिल्ली।
'नीतिगत अनिर्णय' का आरोप झेल रही केंद्र सरकार अपनी 'इमेज' तोड़ने की कोशिश में है। इसकी अगुवाई स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कर रहे हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री दो अहम लेकिन लंबित मुद्दों-खाद्य सुरक्षा विधेयक और कपास निर्यात के पेंच सुलझाने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही मल्टीब्रांड रिटेल और एविएशन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआई] खोलने के मुद्दे पर सरकार अगले कुछ हफ्तों के भीतर दो टूक फैसला करने जा रही है।


प्रधानमंत्री ने शनिवार को बठिंडा में इस बात के स्पष्ट संकेत दिए थे कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को लेकर सरकार फैसला करने वाली है। पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बजट सत्र की समाप्ति के बाद तेल कंपनियों को न सिर्फ पेट्रोल की खुदरा कीमत बढ़ाने की इजाजत मिलेगी, बल्कि डीजल की खुदरा कीमत भी बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा सरकार के भीतर पेट्रोलियम क्षेत्र को दी जाने वाली सब्सिडी को कम करने के लिए भी कुछ कठोर फैसला करने पर विचार-विमर्श चल रहा है। डीजल चालित कारों से टैक्स वसूलने या अमीरों के लिए रसोई गैस की कीमत बढ़ाने जैसे विकल्पों को बहुत दिनों तक नहीं टाला जा सकता।

वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने रविवार को यहां बताया कि पीएम की अध्यक्षता में सोमवार को खाद्य सुरक्षा व कपास निर्यात पर दो अलग-अलग उच्च स्तरीय बैठकें होनी हैं। पहली बैठक खाद्य सुरक्षा विधेयक के परिप्रेक्ष्य में चावल, गेहूं, चीनी, निर्यात की स्थिति के आकलन के संबंध में है। कपास निर्यात पर होने वाली बैठक में देश में कपास उत्पादन की स्थिति को देखते हुए इसके निर्यात पर फैसला किया जाएगा।

इन दोनों बैठकों में वित्ता मंत्री प्रणब मुखर्जी, कृषि मंत्री शरद पवार, वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा, योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के अलावा सरकार के कुछ अन्य वरिष्ठ सदस्य शामिल होंगे। जानकारों का कहना है कि दोनों बैठकों का उद्देश्य किसी न किसी नतीजे पर पहुंचना है। इन दोनों मुद्दों के अटकने के रास्ते में सबसे बड़ी वजह विभिन्न मंत्रालयों के बीच तरह-तरह के विवादों का उपजना है। खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत अनाजों की उपलब्धता व इनके वितरण को लेकर संबंधित मंत्रालयों के बीच काफी मतभिन्नता है। इसी तरह से कपास निर्यात के मुद्दे पर वाणिज्य मंत्रालय व कृषि मंत्रालय आमने-सामने हैं।

शर्मा के मुताबिक विदेशी निवेश से जुड़े दो अहम मुद्दों पर भी शीघ्र फैसला किया जाएगा। सबसे पहले नागरिक उड्डयन [सिविल एविएशन] क्षेत्र में विदेशी एयरलाइन कंपनियों को निवेश करने की अनुमति देने के लंबित मुद्दे पर वित्ता मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के बीच बातचीत का दौर खत्म हो चुका है। इस बारे में नीति के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

इसी तरह से मल्टी ब्रांड में विदेशी निवेश के कैबिनेट के फैसले को लागू करने की तैयारियां भी पूरी की जा रहीं हैं। इसके लिए हर संबंधित पक्ष के साथ बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है। विरोध करने वाले राज्यों के सामने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने भरोसा जताया कि इन दोनों मुद्दों पर शीघ्र सकारात्मक फैसला होगा।

सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर मुद्दों पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी का विरोध ही सर्वाधिक मुखर है। उन्हें मनाने के लिए सरकार उनकी पश्चिम बंगाल को ब्याज भुगतान में राहत देने के बारे में विचार कर रही है। पश्चिम बंगाल की योजना में बढ़ोतरी कर तथा मुकुल राय को रेल मंत्री बनाकर ममता की आधी नाराजगी पहले ही दूर की जा चुकी है।

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