बसु के बयान की काट ढूढ़ने में जुटा रहा केंद्र

नई दिल्ली। अपने सहयोगियों की वजह से नीतिगत अनिर्णय की शिकार संप्रग सरकार पहले ही अपने तीन साल के रिपोर्ट कार्ड का सालाना जश्न मनाने पर पसोपेश में है। उस पर वित्ता मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने संप्रग सरकार की इस कमजोरी और 2014 के बाद ही आर्थिक सुधार की गाड़ी बढ़ने की बात कहकर उसके लिए और मुश्किलें खड़ी कर दी है। ऐन संसद सत्र से पहले सरकार के इतने बडे़ अधिकारी की अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्वीकारोक्ति से सांसत में आई सरकार और कांग्रेस इस बयान की काट और तरीका ढूढ़ने में जूझती रही। सरकार ने बसु के बयान पर सफाई दी तो कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया जताई और कहा कि देश के अंदर नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
सरकार की समस्या यह है कि वह अपने ही अधिकारी की बात को पूरी तरह से खारिज कैसे करे। वास्तविकता भी यही है कि संप्रग-2 के पिछले तीन साल के कार्यकाल में आर्थिक सुधार से जुड़ा उसका हर बड़ा फैसला उसके सहयोगी दलों की वजह से रोकना पड़ा। चाहे वह रिटेल और बीमा क्षेत्र में एफडीआइ हो या भूमि अधिग्रहण कानून और पर्यावरण व वन मंजूरी जैसे मुद्दे, सभी फैसलों से उसे कदम वापस खींचने पड़े। इसीलिए, कौशिक बसु के बयान के बाद सरकार अपने कामकाज गिनाकर बस नीतिगत पंगुता के आरोप को गलत साबित करने की कोशिश करती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने नीतिगत अनिर्णय के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि 'मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संप्रग सरकार देश के विकास के सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है। पूरी दुनिया जब आर्थिक संकट से जूझ रही है तो भी भारत आगे की ओर देख रहा है। चाहे वह बैंकिंग क्षेत्र हो या बुनियादी ढांचा, सभी क्षेत्रों में विदेशी निवेश हो रहा है। हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं।' वित्ता मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार के बयान पर नारायणसामी किसी तरह की टिप्पणी से बचे। उन्होंने कहा कि 'उनके विचारों की हम कद्र करते हैं। मगर सरकार वित्ताीय सुधार के साथ-साथ तमाम शहरी और ग्रामीण विकास योजनाएं चला रही है।'
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने बसु का नाम लिए बगैर उनके बयान पर टिप्पणी की। उन्होंने अग्नि-5 की सफलता को संप्रग के दृढ़संकल्प का नतीजा बताते हुए नीतिगत अनिर्णय के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि 'भारत की समस्या बाहरी नहीं, भीतरी है। नकारात्मक और प्रतिक्रियावादी शक्तियां एक अभियान के तहत लोगों को गुमराह कर रही हैं।' उनका कहना था कि 'आर्थिक सुधारों को मौजूदा हालात के हिसाब से देखा जाना चाहिए।