जनरल के मामले में अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है भाजपा
नई दिल्ली। सेनाध्यक्ष वीके सिंह के मामले पर भाजपा अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। सेना के मनोबल पर पड़ने वाले असर और इस मुद्दे के राजनीतिक लाभ-हानि का आकलन कर वह सरकार को तो कठघरे में खड़ा कर रही है, लेकिन जनरल के साथ खड़े होने से भी बच रही है। भाजपा नेता वेंकैया नायडू ने कहा है कि सेनाध्यक्ष के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के लीक होने की तो जांच होनी चाहिए। इसके अलावा पत्र में उठाए गए मुद्दे भी बेहद गंभीर है, जिन पर सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।
भाजपा जनरल के मुद्दों को गंभीर तो मानती है, लेकिन वह जनरल और सरकार की आपसी लड़ाई के बीच में नहीं पड़ना चाहती है। सेनाध्यक्ष के आरोपों से भ्रष्टाचार का कोई मुद्दा साफ तौर पर सामने न आने और उसमें रक्षामंत्री की किसी तरह की लिप्तता न होने से यह स्थिति राजनीतिक रूप से भी भाजपा के लिए लाभदायक नहीं दिख रही है। इसीलिए वह इस मुद्दे को बहुत ज्यादा तूल नहीं दे रही है। उसने न तो इस मामले पर जनरल को बर्खास्त करने की मांग का समर्थन किया और न ही रक्षामंत्री के इस्तीफे की मांग की है।
संसद के दोनों सदनों में भी वह संतुलित रुख अपनाकर चल रही है। वह सरकार को कठघरे में खड़ा तो कर रही है, लेकिन सेना के मनोबल पर कोई असर न पड़े इसके लिए जनरल की खिंचाई करने से भी नहीं चूक रही है। जनरल को रिश्वत की पेशकश के मामले पर भी पार्टी यह सवाल उठा ही चुकी है कि उन्होंने इस मामले पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि, 'यह आरोप भयावह है और इससे देश में घबराहट फैलती है।'
पार्टी की रणनीति अब संसद के भीतर बहस में इस मामले पर सरकार को घेरने की है। इसके लिए वह बजट सत्र के दूसरे चरण में रक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाएगी।