अर्थहीन गानों से परेशान हूं: जावेद अख्तर

अर्थहीन गानों से परेशान हूं: जावेद अख्तर
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मुम्बई। गीतकार जावेद अख्तर का कहना है कि वह दिन-प्रतिदिन अर्थहीन गानों के ब$img_titleढ़ते चलन और उनके संगीत पर हावी होने से बहुत परेशान हैं।
जावेद ने बताया, "हर समय सभी प्रकार के गाने बनते रहे हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कोई आइटम नम्बर नहीं होना चाहिए या फिर कोई विशेष गीत अर्थहीन है। लेकिन जो चीज मुझे परेशान करती है, वह अधिकतर गानों का इसी शैली में बनना है।"
उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं होना चाहिए। कुछ गाने आपको एक समय अच्छे लगते हैं लेकिन अगर आप यह सोचते है कि ये आम बात है, तो यही मुझे परेशान करती है।"
'तुम हो तो' (रॉक ऑन), 'सपनों से भरे नैना' (लक्क बाइ चांस), 'दिल धड़कने दो' व 'सेनोरिटा' (जिंदगी न मिलेगी दोबारा) और 'जश्न-ए-बहारा' (जोधा अकबर) जावेद के हाल ही में लिखे कुछ मशहूर गीत हैं।
67 वर्षीय गीतकार ने बताया, "मैं युवाओं को दोष नहीं दे रहा हूं, यह युवा नहीं हैं। ये कुछ लोग हैं जो स्वयं भी युवा नहीं हैं और वह महसूस करते हैं कि युवा लोग क्या चाहते हैं। इसलिए यही वो लोग हैं, जो इस तरह की चीजों के लिए जिम्मेदार हैं।" साथ ही उन्हें यह भी लगता है कि गीतकारों और पटकथा लिखनेवालों को अब भी उनके काम का श्रेय नहीं मिलता।

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