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जनमानस

आर्थिक गुलामी का फंदा-एफ.डी.आई


और अन्तोगत्वो केन्द्र सरकार ने एफडीआई को स्वीकृति दे ही दी, एक बार फिर से ईस्ट इंडिया कम्पनी को आर्थिक शोषण करने का लाइसेंस कांग्रेस ने दे दिया है। खुदरा व्यापार में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का प्रवेश निश्चय ही भारत के छोटे व्यापारियों का भविष्य चौपट होगा, अकेली वालमार्ट कम्पनी के पास दुनियाभर में 85 करोड़ वर्ग फीट पर करता है। एक ईकाइ के रूप में भारत को रखा जाए तो एक फुटकर व्यापार लगभग 150 वर्गफीट जमीन का उपयोग करता है। वालमार्ट ने जितनी जमीन पर कब्जा किया हुआ है। उतनी जमीन पर 56 लाख लोग व्यापार कर सकते हैं। वालमार्ट बीस देशों में लगभग 40 प्रतिशत व्यवसाय करती है। और कुल 8 लाख लोगों को रोजगार देता है। इस तरह साड़े चार करोड़ लोगों की रोजी रोटी दाव पर लग जाती है। केन्द्र सरकार की आर्थिक सुधार नीति की वास्तविक सूरत है। निश्चित ही सस्ते दामों पर कच्चा माल खरीद कर पैक कर रिटेल में डबल मुनाफा कमाकर देश को आर्थिक विपन्नता की खाई में धकेलने जा रही है। आर्थिक गुलामी का फंडा कर चुका है। एफडीआई के खिलाफ जन आंदोलन होना चाहिए।

कुवर वी.एस. विद्रोही, ग्वालियर

Updated : 18 Dec 2012 12:00 AM GMT
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