Home > Archived > जनमानस

जनमानस

घोटालों का रणांगन

आज देश में घोटालों का जो महासमर छिड़ा हुआहै उसे देख कर किसी शायर ने ठीक ही लिखा है कि ''जमीं बेच देंगे आसमां बेच देंगे ये मिल कर शहीदों का कफन बेच देंगे। कलम के सिपाही अगर चुप रहे तो ये नेता वतन के वतन बेच देंगे। यह पंक्तियां आज सत्य सिद्ध हो रही हैं। कलम के सिपाही देश का दारूण दशा देख कर भी निश्क्रिय है और घोटालेबाज नेता इस निष्क्रियता से लाभ उठा कर अपने नापाक काम में निडर होकर लगे हुए हैं। जमीन से लेकर आसमां तक और पहाड़ों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक नेताओं और नौकरशाहों के घोटाले नित्य नया-नया करिश्मा दिखा रहे है। इस मेराथन दौड़ में नेतागण देश के शातिर अपराधियों और आतंकियों से आगे निकल चुके हैं। देश का आम आदमी महंगाई, बेरोजगारी, आतंकवाद और अपराध के चक्रव्यूह में इस प्रकार घिरा हुआ है कि उसे इन नेताओं के घपलों की नित्य नई-नई कहानियां में अब कोइ रूचि नहीं है। देश की आम जनता तो रामचरितमानस की उन चौपाई का अनुसरण कर रही है कि कोहू नृप होये हमें का हानि, चेरी छोड़ न होये रानी। यानि देश का राजा कोई भी हो और वह कुछ भी करता रहे उससे देश के आम आदमी को कोई लेना देना नहीं है। यह तो पहले भी शोषित था और आज भी शोषित ही है। जनता ने महंगाई और भ्रष्टाचार को अपनी नियति मान लिया है और वह उसे नेताओं के नित्य घोटालों के होते हुए नित्य उन्हें भोग रही है। देश की देश की आमजनता में व्याप्त इसी नकारात्मक भावना नेहमारे नेताओं को और भी ज्यादा निशंक बना दिया है और वह निडर होकर नित्य नए-नए घोटालों में लग गए हैं। देश की करूणाजनक और दारूणदशा के लिए यही निष्क्रियता हमारे लिए आत्मघाति कदम है। जागरुक जनता देश में सशक्त विपक्ष की भूमिका निभा सकती है। निष्क्रियता देश की समस्याओं की जड़ है। हमें अपनी रोजमर्या की समस्याओं के साथ साथ देश की अस्मिता और अस्तित्वता से खिलवाड़ करने वाले भ्रष्ट नौकरशाहों और नेताओं से भी सावधान रहना चाहिए। देश में आमचुनावओं के समय 'बैलिड क्रांति का संकल्प लेना चाहिए। यानि भ्रष्ट नेताओं और उनके दलों को आम चुनावों में धूल चटाने के लिए अभी से संकल्प लेना चाहिए। यही आम आदमी की अंतिम लड़ाई है।
नीति पाण्डेय, मुरैना


Updated : 2 Oct 2012 12:00 AM GMT
Next Story
Top