आर्थिक रूप से अशांत यूरोपीय संघ, फिर भी शांति का नोबेल पुरस्कार

आर्थिक रूप से अशांत यूरोपीय संघ, फिर भी शांति का नोबेल पुरस्कार
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स्टॉकहोम
: पिछले सालों में आर्थिक मोर्चे पर अशांत यूरोपीय संघ (ईयू) को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। पुरस्कार की दौड़ में 231 नाम थे। लेकिन ईयू ने बाजी मारी। क्योंकि विरोधी राजनीति के बावजूद उसके 27 देश अपनी आर्थिक जरूरतों के मद्देनजर एक बने रहे हैं। नोबेल कमेटी के अध्यक्ष थॉर्बजोर्न जगलैंड ने शुक्रवार को पुरस्कार की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ईयू ने यूरोप को युद्ध के महाद्वीप से शांति के महाद्वीप में तब्दील करने में अहम भूमिका निभाई है। इस फैसले से यूनियन को मंदी से लड़ने की प्रेरणा मिलेगी। ईयू को बतौर पुरस्कार 12 लाख डॉलर (करीब 6.33 करोड़ रु.) मिलेगा। पुरस्कार वितरण समारोह 10 दिसंबर को ओस्लो में होगा। ईयू को शांति का नोबेल मिलने का नॉर्वे ने विरोध किया है। वहां के एंटी-ईयू मेंबरशिप ऑर्गेनाइजेशन के हेमिंग ओलाउसेन ने कहा कि यह फैसला निर्थक है। नॉर्वे दो बार 1972 और 1944 में ईयू में शामिल होने से मना कर चुका है।यूरोप यूरोजोन के संकट से गुजर रहा है। हालात इतने खराब हैं कि ईयू के भविष्य को लेकर ही गंभीर बहस चल रही है। नोबेल कमेटी के सचिव गेर लैंडेस्ट ने कहा भी कि यह यूरोप के लिए संदेश है। उपलब्धियां हासिल करने और आगे बढ़ने के लिए जो भी जरूरी है वह करते रहना चाहिए। यह रिमाइंडर भी है कि अगर यूरोपीय संघ को टूटने दिया गया तो किस तरह के नुकसान भी होंगे।



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