प्रधानमंत्री कराएं 'काली सूची' की जांच: नायर

प्रधानमंत्री कराएं काली सूची की जांच: नायर
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बेंगलुरू। सुप्रसिद्ध चार अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के आधिकारिक पद
$img_titleग्रहण करने पर प्रतिबंध लगाए जाने से नाराज भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मामले की जांच तुरंत कराने की मांग की है।
नायर ने कहा कि चूंकि मुझे यह पता नहीं है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में यह फैसला किसने लिया, मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री इस आदेश की जांच कराएं और पता लगाएं कि मुझे मेरा अपराध बताए बिना कार्रवाई के लिए सिफारिश किस आधार पर की गई। नायर ने कहा कि तथ्य यह है कि काली सूची में डाले जाने के आदेश (13 जनवरी) की प्रति उसके जारी होने के 12 दिन भी मुझे नहीं भेजी गई है लेकिन मीडिया को जानकारी दे दी गई, जिससे मुझे संदेह है कि इस समूचे घटनाक्रम के पीछे किसी की चाल है जो किसी को बचाना चाहता है और हमारी छवि धूमिल करना चाहता है। नायर ने दावा किया कि पूर्व कैबिनेट सचिव बी.के. चतुर्वेदी और अंतरिक्ष आयोग के सदस्य रोडम नरसिम्हा की समीक्षा समिति ने अपनी जांच में कुछ भी गलत नहीं पाया था। उन्होंने कहा कि यहां तक कि बी.एन. सुरेश की एक सदस्यीय समिति ने भी उन्हें क्लीन चिट दी थी।
उल्लेखनीय है कि नायर के अलावा जिन तीन वैज्ञानिकों के किसी भी सरकारी पद पर रहने पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें पूर्व वैज्ञानिक सचिव ए. भास्करनारायण, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक के.एन. शंकरा तथा एंट्रिक्स कारपोरेशन के कार्यकारी निदेशक के.आर. श्रीधरमूर्ति शामिल हैं।
1,000 करोड़ रुपये के बजट वाला एंट्रिक्स कारपोरेशन सरकार द्वारा संचालित इसरो की एक व्यावसायिक इकाई है। इसका मुख्यालय इसरो परिसर में है और इसके केंद्र देशभर में हैं। चारों अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को यह दंड एंट्रिक्स तथा बेंगलुरू के देवास मल्टीमीडिया लिमिटेड के बीच नियमों का उल्लंघन कर हुए 60 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम सौदे में कथित भूमिका को लेकर दिया गया है। यह सौदा वैश्विक निविदा के माध्यम से प्रतियोगितापूर्ण बोली के आधार पर नहीं किया गया था।


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