चिदंबरम पर मुकदमा चलाने के स्वामी के आग्रह पर आदेश 4 फरवरी को

चिदंबरम पर मुकदमा चलाने के स्वामी के आग्रह पर आदेश 4 फरवरी को
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$img_titleनयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग को लेकर किए गए जनता पार्टी के प्रमुख सुब्रमण्यम स्वामी के आग्रह पर 4 फरवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी ने चिदंबरम के खिलाफ अपने आरोपों के पक्ष में स्वामी की दलील पूरी होने के बाद कहा कि आदेश 4 फरवरी तक के लिए सुरक्षित रखा जाता है।
दलील में स्वामी ने कहा कि अदालत के सामने प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया लगता है कि चिदंबरम पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा की तरह ही समान रुप से अपराधी हैं, जिनके खिलाफ टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में सुनवाई चल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ए राजा और पी चिदंबरम ने साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया। प्रथम दृष्टया लगता है कि आपराधिक कदाचार के अपराध के लिए चिदंबरम ने राजा के साथ मिलकर साजिश और सांठ-गांठ की।
स्वामी ने अदालत से कहा कि पेश किए गए साक्ष्य यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि तत्कालीन वित्त मंत्री के तौर पर चिदंबरम ने प्रथम दृष्टया जिस अपराध को अंजाम दिया वह भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम और अन्य आपराधिक कानूनों के तहत आता है। मामले में 22 अक्तूबर को आरोप तय करने के अदालत के निर्देश पर स्वामी ने कहा कि स्वान टेलीकॉम और यूनिटेक वायरलेस द्वारा विदेश स्थित एतिसलात और टेलीनोर को शेयर बेचना केवल एक ‘चाल’ थी क्योंकि इससे लाइसेंस के स्थानांतरण की अनुमति मिलती थी।
उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री के तौर पर चिदंबरम को अक्तूबर 2003 में मंत्रिमंडल ने राजा के साथ स्पेक्ट्रम की कीमतों पर चर्चा करने और इसे अंतिम रुप देने का अधिकार दिया था।
स्वामी ने तर्क दिया, ‘‘चूंकि वह (चिदंबरम) साजिश और सहमति में राजा के साथ थे, इसलिए अधिकारियों (वित्त मंत्रालय) के द्वारा सारे तथ्य बताए जाने के बावजूद उन्होंने कैबिनेट की बैठक नहीं बुलाई।’’ 7 जनवरी को स्वामी के बयान रिकॉर्ड कराने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। उन्होंने चिदंबरम को ‘देश की सुरक्षा संबंधी विश्वास तोड़ने का भी दोषी’ ठहराया क्योंकि उन्होंने यह नहीं खुलासा किया कि एतिसलात और टेलीनोर कंपनियां काली सूची में थी।
स्वामी ने अदालत में कहा था कि प्रमाणित दस्तावेजों से पता चलता है कि स्पेक्ट्रम लाइसेंस की कीमत तय करने और दो कंपनियों स्वान टेलीकॉम और यूनिटेक वायरलेस को अपने शेयर बेचने की अनुमति देने में चिदंबरम की राजा के साथ ‘मिलीभगत’ और ‘सांठगांठ’ थी। स्वामी ने 30 जनवरी 2008 को चिदंबरम और राजा के बीच बैठक के प्रमाणित ब्यौरे की प्रतियों के अलावा प्रधानमंत्री और दोनों मंत्रियों के बीच हुई अन्य बैठक के ब्यौरे भी रिकार्ड में रखे।
इसके अलावा, उन्होंने 15 जनवरी 2008 को चिदंबरम द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे गये पत्र, 21 दिसंबर 2010 को प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ हुए उनके संवाद और 25 मार्च 2011 को वित्त मंत्रालय से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए ‘‘ऑफिस मेमो’’ की प्रमाणित प्रतियां भी पेश की।

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