कनाडा एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग देशों से युवा उच्च शिक्षा और नौकरी के लिए आते हैं।इसीलिए इस देश को मल्टी कंट्री भी कहा जाता है।
भारत में पंजाबियों को कनाडा बहुत रास आता है, यहां से हर साल बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई और नौकरी के लिए कनाडा जाते है
वर्तमान में यहां बड़ी संख्या में सिख और पंजाबी रहते है, जिसके कारण कुछ लोग कनाडा को दूसरा पंजाब भी कहते है।
सिखों के कनाडा जाने की शुरुआत साल 1897 में हुई, जब ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की टुकड़ी के साथ कनाडा पहुंचे रिसालदार मेजर शरण सिंह यहां बस गए।
इसके बाद ही भारत से सिखों के कनाडा जाने का सिलसिला शुरू हो गया तब कुछ ही सालों में 5000 भारतीय यहां पहुंच गए, जिनमें से 90 फ़ीसदी सिख थे।
सिखों के कनाडा जाने के पीछे बड़ा कारण सरल वीजा नियम साथ ही पांच साल शांति से रहने पर आसानी से नागरिकता का मिलना है।
सिखों के कनाडा जाने का दूसरा कारण है कैनेडियन सरकार ने सिखों के लिए ओपन डोर पॉलिसी लागू कर रखी है, जिसके चलते आसानी से उन्हें वीजा मिल जाता है।
दरअसल, कैनेडियन सरकार की नजरों में सिख बहुत ही मेहनती, ईमानदार और रूल्स को मानने वाले होते हैं। इसलिए वहाँ की सरकार भी सिखों को जल्दी नौकरी देती है
जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में कनाडा की कुल आबादी में सिख अल्पसंख्यक 22.3 फ़ीसदी हो गए थे।