दुनिया भर में 25 दिसम्बर को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है।
कुछ ईसाई इतिहासकार और धर्मगुरुओं का यह मानना है कि ईसा का जन्म सच्चाई में इस दिन नहीं हुआ था बल्कि यह सिर्फ सिंबॉलिक जन्मदिन है।
यूरोपीय इतिहासकारों और धर्मगुरुओं का कहना है कि 25 दिसंबर से दिन लंबे होना शुरू हो जाते हैं इसलिए इस दिन को सूर्य का पुनर्जन्म माना जाता है।
इतिहासकारों का कहना है कि यूरोपीय लोग 25 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण के मौके पर त्योहार मनाते थे। इसीलिए इस दिन को बड़ा दिन केभी कहा जाता है।
भगवान सूर्य के पवित्र दिन को ईसाई समुदाय के लोगों ने भी प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में चुना, इसे क्रिसमस नाम दिया।
सबसे पहले 360 ईस्वी के आसपास रोम के एक चर्च में ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया गया।
ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में धर्मगुरुओं ने पहले 28 मार्च फिर 19 अप्रैल के दिन निर्धारित किए बाद में इसे भी बदलकर 20 मई कर दिया गया। इस संदर्भ में 8 और 18 नवंबर की तारीखों के भी प्रस्ताव आए।
लंबे समय तक चले विचार-विमर्श के बाद चौथी शताब्दी में रोमन चर्च और सरकार ने संयुक्त रूप से 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिवस घोषित कर दिया।